जबलपुर। सुनने में आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है कि पंडाल में विराजे पत्थर के गणेश जी विसर्जन के लिए उठे ही नहीं और हमेशा के लिए वहीं विराज गए। ये मंदिर है सुपर मार्केट से लार्डगंज के बीच में। जहां पीपल के पेड़ के नीचे श्री शेषनाग गणेश मंदिर में बप्पा विराजे हैं वहीं उनके पीछे लगभग 200 वर्ष पुरानी शेषनाग की प्रतिमा है।
मंदिर की व्यवस्था से जुड़े किशोर वलेचा, विपिन गुलाटी और राजेंद्र साहू ने बताया कि शेषनाग का प्राचीन मंदिर है। यहां क्षेत्र के युवा अलग तरह की प्रतिमाओं का निर्माण करते थे। जिनमें गोबर के गणेश, सिक्कों के गणेश प्रतिमाओं ने प्रसिद्धि पाई थी। 25 वर्ष पहले यहां युवाओं ने गणेश की आकृति की तरह का एक बड़ा पत्थर क्रेन से लेकर आए और गणेशोत्सव पर्व के दौरान झांकी तैयार की। जब विसर्जन की बारी आई तो प्रतिमा उठाने के लिए के्रन बुलाई गई लेकिन दो दिनों तक क्रेन से भी बप्पा टस से मस नहीं हुए।
पार्वतीनंदन (Parvatinandan) यहां सिद्धि विनायक (Siddhi Vinayak) के स्वरूप में विराजमान हैं जो अपने भक्तों की मनोकामना को पूरा करते हैं। कुछ भक्त ऐसे हैं जो मनोकामना पूरी होने पर प्रतिदिन मंदिर दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर महाराज द्वारा प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे और रात 7.30 बजे आरती की जाती है।