केवल हिंदू ही क्यों दुनिया 10 में से 8 नागरिक नियमित रूप से मंदिर या अपने प्रिय आस्था केंद्र पर जरूर जाते हैं लेकिन अक्सर लोग शिकायत करते मिलते हैं कि मंदिरों में अब शांति नहीं रहती। बहुत कोलाहल होता है। लोग गपशप करते हैं। फोन पर बात करते रहते हैं। पाखंड करते हैं, जिससे दूसरे श्रद्धालुओं का ध्यान भंग होता है। आइए जानते हैं, ऐसा क्यों होता है और क्या इसका कोई ऐसा समाधान है जो दूसरों को अनुशासित किए बिना निकाला जा सके।
एक महिला रोज मंदिर जाती थी! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी!
इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?
तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है! कुछ पूजा कम पाखंड, दिखावा ज्यादा करते हैं!
इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं!
महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?
पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए। शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये!
महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ !
फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे -
1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?
2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?
3.क्या किसी को पाखंड करते देखा?
महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा !
फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया|
अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा, प्रभु, ईश्वर, आराध्य में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा। यह कोलाहल आपका ध्यानभंग नहीं कर पाएगा।