भोपाल। पेट्रोल-डीजल में 5% वैट बढ़ोतरी के बाद शनिवार को मप्र में इनके दाम बाकी राज्यों के औसत दाम से भी ज्यादा हो गए हैं। अभी डीजल के सर्वाधिक औसत दाम तेलांगाना में 72.52 रु. हैं जबकि मप्र में यह 72.89 रु. है। इसी तरह अब तक पेट्रोल के अधिकतम औसतन दाम महाराष्ट्र में 79.33 रुपए थे, लेकिन अब मप्र में शनिवार को पेट्रोल के औसत दाम 81.60 रु. प्रति लीटर तक रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि पेट्रोल-डीजल पर कहीं भी वैट, एडिशनल टैक्स और सेस मिलाकर इतना टैक्स नहीं है।
38.05 का पेट्रोल 81.66 रुपए में, दाम से ज्यादा टैक्स
81.66 रुपए प्रतिलीटर पेट्रोल में सेंट्रल एक्साइज - 20.11 रुपए और मप्र का 23.50 रुपए (इसमें वैट 33 फीसदी से 19.19 रुपए, एडिशनल टैक्स 3.50 रुपए और एक फीसदी सेस 0.81 रुपए)- केंद्र और राज्य का कुल टैक्स 43.61 रुपए। यानी 38.05 का पेट्रोल 81.66 रुपए में बेचा जा रहा है। यहां पेट्रोल के दाम से ज्यादा उस पर टैक्स वसूला जा रहा है।
41.3 रुपए का डीजल 72.96 रुपए में
72.96 रुपए डीजल में सेंट्रल एक्साइज-15.81 रुपए और मप्र का कुल टैक्स 15.85 रुपए (इसमें वैट 23 फीसदी 13.13 रुपए, एडिशनल टैक्स दो रुपए और एक फीसदी सैस 0.72 रुपए) - केंद्र और राज्य का कुल टैक्स 31.66 रुपए। यानी 41.3 रुपए का डीजल 72.96 रुपए में बेचा जा रहा है।
कांग्रेस के वचन पत्र में यह ऐलान किया था
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में पेट्रोल और डीजल पर छूट की बात कही थी। कहा था कि सरकार बनते ही पेट्रोल पर कम से कम 5 रुपए प्रतिलीटर घटा दिया जाएगा, लेकिन जुलाई में केंद्र द्वारा सेंट्रल एक्साइज बढाने पर छह जुलाई को मप्र ने भी तत्काल पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया था, वहीं अब एक बार फिर पांच फीसदी टैक्स बढा दिया है। शनिवार को पड़ाेसी राज्यों में मप्र की जगह उन्हीं के राज्य से डीजल भराने के पोस्टर लग गए। महाराष्ट्र में एक पेट्रोल पंप पर पोस्टर लगाया कि यहां पर डीजल मप्र की तुलना में 4.55 रु. और पेट्रोल 4.10 रु.सस्ता है।
फिर कांग्रेस ने टैक्स क्यों बढ़ा दिया
क्योंकि जनता चुप है। वो कुछ नहीं कहती। क्योंकि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स के कारण वोट प्रभावित नहीं होते। किसान और कर्मचारी अपने फायदे के लिए आंदोलन करते हैं, सरकार उनके दवाब में आ जातीं हैं। मिडिल क्लास प्राइवेट नौकरीपेशा तो कसमसाकर रह जाता है। वो कभी कुछ नहीं कहता। कांग्रेस ने उसे पेट्रोल-डीजल सस्ता करने का लालच दिखाकर वोट ले लिया। कमलनाथ सरकार को पता है कि जनता अब उफ तक नहीं करेगी और चुनाव के वक्त पेट्रोल-डीजल का दाम मुद्दा ही नहीं होगा।