भोपाल। सीएम कमलनाथ से मिलकर लौटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस तरह मीडिया को बयान दिए, स्पष्ट हो गया कि स्क्रिप्टेड था। गांधी सागर बांध के पानी में डूबे गांव ना तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र में आते हैं और ना ही सिंधिया वहां गए। सरकार मुआवजे का ऐलान और केंद्र से मदद की मांग भी कर चुकी है अत: इस सबके लिए सिंधिया की जरूरत तो कतई नहीं था। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या दोनों किसी डील के लिए मिले थे और यदि हां तो क्या वो डील डन हो गई है।
कोई नेता चुपचाप किसानों के लिए मुआवजा मांगता है क्या
ज्योतिरादित्य सिंधिया आधे मध्य प्रदेश का चक्कर लगाते हुए भोपाल पहुंचे। यहां उन्होंने सीएम कमलनाथ से मुलाकात की। मुलाकातें तो पहले भी होतीं रहीं हैं, परंतु इस बार इस मीटिंग की जानकारी मीडिया के बीच लीक की गई। सीएम हाउस में हुई ये मुलाकात करीब आधे घंटे तक चली। इस आधे घंटे में दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, किसी को नहीं पता लेकिन हर किसी को यह विश्वास जरूरी है कि यह मुलाकात बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए तो नहीं थी, क्योंकि यदि होती तो खुलेआम होती। देश का कोई भी नेता, यदि किसानों के लिए कुछ मांगता है तो ढोल पीटकर मांगता है ताकि हर किसान को पता चले तो चुनाव के वक्त काम आए।
बैरसिया से अनुमान लगा दिया, प्रदेश के हालात क्या होंगे
सीएम कमलनाथ से मुलाकात के बाद सीएम हाउस के बाहर सिंधिया ने पत्रकारों को बताया कि मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश से किसानों और जनता का जो नुकसान हुआ है, वो भयावह है। इसी सिलसिले में वो सीएम कमलनाथ से मुलाकात करने आए थे। मुलाकात से पहले सिंधिया भोपाल से सटे बैरसिया पहुंचे थे, जहां उन्होंने खेतों का दौरा किया और भारी बारिश से बर्बाद हुई फसलों को देखा था। सीएम हाउस के बाहर सिंधिया ने कहा कि मध्य प्रदेश में अतिवर्षा के चलते बाढ़ जैसे हालत बन गए हैं और मैंने इन्हीं हालातों को लेकर व जनता को किस तरह से राहत दी जा सकती है, इन सब विषयों पर सीएम कमलनाथ से चर्चा की है।
यहां मिला संकेत
सिंधिया ने कहा कि अतिवर्षा से पीड़ित किसानों को मुआवजा देने पर चर्चा हुई है। सीएम कमलनाथ ने उनकी बातों को ध्यान से सुना है और आश्वासन दिया है कि बारिश पूरी तरह रुकने के बाद फसलों का सर्वे कराया जाएगा।' बस यहां एक संकेत मिलता है कि 'सीएम कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की मनोकामना पर तथास्तु नहीं किया है, बल्कि उन्हे कुछ समय रुकने के लिए कहा है।' प्रश्न अब भी वही है कि क्या कमलनाथ ने सिंधिया को पीसीसी चेयरमैन पद के लिए रुकने को कहा है या फिर सत्ता के भीतर दिग्विजय सिंह गुट के मंत्रियों से शुरू हुए संग्राम के निपटाने के लिए।