भोपाल। वंशवाद का विरोध करती आ रही भाजपा मध्य प्रदेश में वंशवाद के मुहाने पर आकर खड़ी हो गई है। भाजपा की दूसरी पीढ़ी की संतानों को 2013 के बाद 2018 में भी टिकट नहीं मिल पाए लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में ऐसा ना हो, पार्टी में उनकी स्वीकार्यता हो और उनकी अपनी पहचान स्थापित हो जाए इसके लिए रणनीति पर काम शुरू हो गया है। तय किया गया है कि पार्टीफंड खर्च करके सभी दिग्गजों की संतानों को नेता के रूप में स्थापित किया जाएगा। पहला कार्यक्रम भी तय हो गया है।
लाठी-डंडे भी खाएंगे ताकि अपनी पहचान बन जाए
नेताओं की संतानें अब तक पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार की प्रमुख जिम्मेदारी से दूर रहतीं थीं परंतु एक सप्ताह पहले बनी 31 सदस्यीय आंदोलन समिति में संतानों को ना केवल जगह दी गई बल्कि मीटिंग का आयोजन भी किया गया। यह बैठक रविवार को पार्टी दफ्तर में हुई। युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे ने यह बैठक ली और बाद में कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की मंजूरी मिलने के बाद चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। बैठक में सुझाव देते समय नेता-पुत्रों ने यह भी कहा कि यदि लाठी-डंडे भी खाने पड़ें तो पीछे नहीं हटेंगे। बता दें कि ये सभी युवराज लक्झरी लाइफ जीते हैं। इनकी राजनीति अपने पिता से शुरू होती है और पिता पर ही खत्म होती है। पिता ही इनकी पार्टी है। पहली बार संगठन का काम करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
ऐसी क्या मजबूरी है
दरअसल, भाजपा वंशवाद का विरोध करने वाली पार्टी है। यहां आम कार्यकर्ता का महत्वपूर्ण बताया जाता रहा है लेकिन मध्य प्रदेश में 2013 और 2018 में भाजपा नेताओं ने अपने बेटों को टिकट दिलाने की भरपूर कोशिश की। अमित शाह ने एक परिवार एक टिकट की शर्त रख दी। कैलाश विजयवर्गीय ने तो यह शर्त भी स्वीकार कर ली और आकाश विजयवर्गीय को अपना टिकट सौंप दिया। शेष सभी चाहते हैं कि वो और उनकी संतानें दोनों ही चुनाव लड़ें। यही कारण है कि अब संतानों का अस्तित्व उनके पिता से अलग प्रदर्शित करने की कोशिश की जा रही है। यह आसान भी है, पिता के प्रभाव का लाभ तो मिलेगा ही, पार्टी फंड भी है।
इन दिग्गजों की संतानें
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुशमुल, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के बेटे समर्थ शामिल हुए। समिति में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे रामू, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन और पूर्व मंत्री दीपक जोशी के पुत्र जयवर्धन भी हैं, लेकिन वे नहीं पहुंचे।
बैठक का प्रतिवेदन
कार्तिकेय ने बैठक में सुझाव दिया कि एक आंदोलन करने की बजाए, तीन चरणों में इसे किया जाए। पहले कांग्रेस के वचन-पत्र की अर्थी निकालना चाहिए फिर राजधानी में बड़ा कार्यक्रम हो और बाद में सीएम हाउस का घेराव हो। भोपाल में आंदोलन के समय हर जिले से कम से कम 500 कार्यकर्ता एकत्रित किए जाएं। तुशमुल ने कहा कि बिजली दरों में बढ़ोतरी बड़ा मुद्दा बन गया है और युवाओं को लेपटॉप भी नहीं मिल रहे, इसके भी विरोध की रणनीति बने। सभी से चर्चा के बाद पांडे ने आंदोलन के लिए पांच समितियां बनाई हैं। आगामी 20 सितंबर को प्रस्तावित बैठक में आंदोलन के चरणों पर बात होगी।