ग्वालियर। केंद्र सरकार का मोटर व्हीकल एक्ट 2019 एक सितंबर से पूरे देश में लागू कर दिया लेकिन मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों ने इसे अपने राज्य में प्रभावी होने से रोक दिया। कुछ संशोधन के साथ इसे लागू करने पर विचार जारी है परंतु पुलिस ऐसे मामले जिनमें स्पॉट फाइन नहीं बल्कि कोर्ट में चालान जमा कराना होता है, मैं नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ही चालान बना रही है। ग्वालियर में शराब पीकर बाइक चलाने पर 10200 और 11000 रुपए का चालान बनाया गया है।
केस-1: नशे में ट्रिपल सीट 10200 का चालान
14 सितंबर की शाम बस स्टैंड तिराहा पर सूबेदार स्मृति दोहरे चेकिंग कर रही थी। तभी स्टेशन बजरिया की ओर से स्प्लेंडर क्रमांक एमपी07 एनएफ-2320 पर तीन युवक युवक बैठकर आते दिखे। बाइक को रोककर दस्तावेज दिखाने के लिए कहा तो बाइक चला रहे युवक ने बहस शुरू की। उसके नशे में होने के संदेह पर तत्काल पुलिस जवानों ने ब्रीथ एनालाइजर लगाकर चेकिंग की। जिसमें बाइक ड्राइव कर रहे युवक का एल्कोहल लेबल मानक से अधिक आया। जिस पर वाहन को जब्त कर कोर्ट चालान बनाया गया। बाइक सवार की पहचान दुल्लपुर के पास पंचशील नगर निवासी विकास उर्फ कुनाल पुत्र राजवीर सिंह के रूप में हुई है। 17 सितंबर को कोर्ट से उसका 10 हजार रुपए नशे में ड्राइव करने और 200 रुपए ट्रिपल सीट का चालान बनाया गया है।
केस-2: नशे में बिना हेलमेट 11000 रुपए का चालान
14 सितंबर रात होटल तानसेन तिराहा पर एएसआई वीएन गोयल चेकिंग कर रहे थे। तभी बाइक सवार दो युवक आते दिखे। बाइक लहराते दिखने पर पुलिस अफसर ने गाड़ी को रोका। बाइक चला रहा युवक हेलमेट भी नहीं पहने था। जिस पर उसे रोकाकर ब्रीथ एनालाइजर से चेक किया गया। बाइक चालक नशे में पाया गया। बाइक क्रमांक एमपी07 एनएफ-8380 को चलाने वाले की पहचान रोहित पुत्र बादाम सिंह निवासी थाटीपुर के रूप में हुई। उसका तत्काल कोर्ट चालान बनाया गया। जिसका 17 सितंबर को कोर्ट से 11 हजार रुपए का चालान बनाया गया।
नए नियम रोड पर नहीं लेकिन कोर्ट में लागू
केंद्र सरकार के नए मोटर व्हीकल एक्ट को अभी मध्य प्रदेश सरकार ने अपने यहां लागू नहीं किया है। इस कारण अन्य सभी ऐसे नियम जिनमें यातायात पुलिस मौके पर ही चालान बनाती है। उसमें पुराने नियम के तहत जुर्माना देना होगा, लेकिन नशे में वाहन चलाने पर यातायात पुलिस को कोर्ट चालान बनाने का अधिकार है। वह मौके पर चालान कर जुर्माना नहीं वसूल सकती। ऐसी स्थिति में नए नियम के तहत जुर्माना तय किया जा रहा है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि जब कोई अधिनियम राज्य में लागू ही नहीं है तो उसके तहत सजा का निर्धारण कैसे हो सकता है।