नई दिल्ली। सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019 (THE PUBLIC PREMISES (EVICTION OF UNAUTHORISED OCCUPANTS) AMENDMENT BILL, 2019) बजट सत्र, 2019 के दौरान संसद में पारित होने के बाद आज यानी 16 सितम्बर, 2019 से प्रभावी हो गया है। इस संबंध में राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी गई है।
कब्जाधारियों को बलपूर्वक बेदखल किया जा सकेगा
इससे सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा जमाये बैठे लोगों को सुगमतापूर्वक एवं काफी तेजी से बेदखल करना संभव हो जाएगा। यही नहीं, इससे अधिनियम के अनुभाग 4 और 5 के तहत विस्तृत प्रक्रियाओं की आवश्यकता को पूरा किए बगैर ही सरकारी आवासों से अनधिकृत लोगों की बेदखली सुनिश्चित हो जाएगी। इससे पात्र व्यक्तियों के लिए सरकारी आवास की उपलब्धता और भी अधिक बढ़ जाने तथा इससे जुड़ी प्रतीक्षा अवधि घट जाने की आशा है।
सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) अधिनियम, 1971 में क्या था
सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) अधिनियम, 1971 इसलिए लागू किया गया था, ताकि ‘सार्वजनिक परिसरों’ से अनधिकृत लोगों को बेदखल किया जा सके। सरकार अपने कर्मचारियों, सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को उनकी सेवा अवधि के दौरान अथवा उनका कार्यकाल पूरा होने तक लाइसेंस के आधार पर सरकारी आवास मुहैया कराती है। मौजूदा आवंटन नियमों के अनुसार लाइसेंस शर्तों के अनुरूप पात्रता की समाप्ति हो जाने के बाद इस तरह के सरकारी आवासों में रहने वाले लोगों को अनधिकृत कब्जाधारी मान लिया जाता है और उन्हें संबंधित सरकारी आवास खाली करना पड़ता है।
कब्जाधारी हाईकोर्ट तक अपील करते रहते थे
अधिनियम के तहत संपदा अधिकारी को ‘सार्वजनिक परिसरों’ पर अवैध रूप से कब्जा जमाये बैठे लोगों को सुगमतापूर्वक और त्वरित एवं समयबद्ध ढंग से बेदखल करने का अधिकार दिया गया है। मौजूदा प्रावधानों के तहत ‘सार्वजनिक परिसरों’ से अनधिकृत लोगों को बेदखल करने की प्रक्रिया में लगभग पांच-सात सप्ताह लग जाते हैं। यदि इस तरह के अनधिकृत कब्जाधारी व्यक्ति अधिनियम के तहत जिला अदालत में अपील दाखिल करते हैं तो इस प्रक्रिया में लगभग चार और सप्ताह का समय लग जाता है। हालांकि, बेदखल प्रक्रिया में आमतौर पर लगने वाला कुल समय अधिनियम में निर्दिष्ट समयसीमा की तुलना में काफी ज्यादा होता है। कभी-कभी तो इस तरह के अनधिकृत व्यक्तियों को ‘सार्वजनिक परिसरों’ से बेदखल करने में कई वर्ष लग जाते हैं। ऐसी स्थिति विशेषकर तब देखी जाती है जब सरकारी आवास पर अवैध रूप से कब्जा जमाये बैठे लोग उच्च न्यायालयों में अपील दाखिल करते हैं।