नई दिल्ली। रेल मंत्रालय खुद को कार्पोरेट कंपनी मान बैठा है। रेल विभाग के अधिकारी एक के बाद एक फेल होते फार्मूलों को देखकर भी सबक नहीं ले रहे हैं। पहले फ्लेक्सी फेयर स्कीम लागू की गई थी, अब रेल मंत्रालय ने 'डिस्काउंट फेयर स्कीम' का ऐलान कर दिया है। इसके तहत ट्रेन में भीड़ कम होगी तो किराया भी कम लगेगा। यह मूल किराए से भी कम हो सकता है।
पिछले साल भीड़ कम तो इस साल किराया कम
सबसे पहले रेलवे पिछले पूरे साल टिकटों की बिक्री का रिकॉर्ड तैयार करेगा। फिर देखा जाएगा कि जिन महीनों में 50 प्रतिशत से कम सीट बुक हुई हैं, इस साल उन ट्रेनों में बेसिक किराए, रिजर्वेशन चार्ज, सुपरफास्ट चार्ज और जीएसटी में 25 प्रतिशत तक की छूट दी जाएगी। यह छूट कुछ महीनों, सीजन और वीकेंड में भी दी जा सकती है। जिन ट्रेनों में सालभर भीड़ कम रहती है, वहां किराया सालभर के लिए भी घटाया जा सकता है।
इसे डिस्काउंट फेयर स्कीम नाम दिया है
ध्यान देने वाली यह है कि रियायती और पीटीओ के टिकट का शुल्क पूरे किराए पर लगेगा। तत्काल कोटे के टिकट पर भी रियायती किराया लागू नहीं होगा। रेलवे बोर्ड ने इसे डिस्काउंट फेयर स्कीम नाम दिया है। इसे लागू करने का अधिकार जोनल मुख्यालयों के प्रिंसिपल चीफ कॉमर्शियल मैनेजरों को होगा।
रेलवे बोर्ड के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर (पैसेंजर मार्केटिंग) नीरज शर्मा ने बताया है कि शुरू के 4 महीनों तक योजना की मॉनीटरिग कर उसकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी। सभी प्रिंसिपल चीफ कॉमर्शियल मैनेजरों को 30 सितंबर तक अपने यहां की 50 प्रतिशत से कम डिमांड वाली ट्रेनों को चुनना होगा।
अभी क्या होता है
रेलवे ने अभी शताब्दी ट्रेनों में ऐसी व्यवस्था लागू कर रखी है। 50 फीसद से कम मांग वाली इन ट्रेनों में कम किराया लिया जा रहा है जबकि इंटरसिटी, डबल डेकर सहित अन्य ट्रेनों में ट्रेन छूटने के चार घंटे पहले पहला आरक्षण चार्ट बनने पर खाली सीट की बुकिंग कराते समय बेसिक किराए पर 10 प्रतिशत छूट देता है। अब तक रेलवे बोर्ड को ही किराए में छूट देने का अधिकार था।