नई दिल्ली। एयर इंडिया ने एक शुद्ध शाकाहारी ब्राह्मण दंपत्ति को बिना बताए, चुपके से मांस परोस दिया। परोसे गए भोजन पर कहीं भी मांसाहार नहीं लिखा था। क्रू के सदस्यों ने भी नहीं बताया कि उन्हे मांस परोसा गया है। जबकि यात्री ने अपने बुकिंग फार्म में स्पष्ट लिखा था कि वो शाकाहारी हैं एवं उन्हे शाकाहारी भोजन ही चाहिए।
बुकिंग के समय बता दिया था कि शाकाहारी भोजन दिया जाए
मोहाली के सेक्टर-121 स्थित एटीएस कासा एस्पाना में रहने वाले चंद्रमोहन पाठक ने एयर इंडिया लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि 17 जून 2016 को नई दिल्ली से शिकागो और 14 नवंबर 2016 को शिकागो से नई दिल्ली के लिए उन्होंने अपने और पत्नी के लिए एयर इंडिया से टिकट बुक कराई। बुकिंग के समय उन्होंने खासतौर पर लिखा कि वह शुद्ध शाकाहारी हैं और उन्हें फ्लाइट में सिर्फ वेज खाना ही परोसा जाए।
वापसी के समय बिना बताए मांस परोस दिया
दिल्ली से शिकागो जाने के समय सब कुछ ठीक रहा, लेकिन वापसी में उन्हें केबिन क्रू ने बिना बताए नॉन-वेजिटेेरियन खाना परोस दिया। खाते वक्त उन्होंने महसूस किया कि कुछ गड़बड़ है, इस बीच उन्हें खाने में मांस का टुकड़ा मिला। इसकी शिकायत उन्होंने तुरंत केबिन क्रू से की, क्योंकि खाने पर कोई वेज या नॉनवेज का स्टिकर नहीं लगा था। क्रू ने भी उन्हें बताया नहीं कि यह खाना नॉनवेज है। इसके बाद उन्होंने शिकायत लिखने के लिए कंप्लेंट बुक मांगी, लेकिन वह भी नही दी गई। चंडीगढ़ पहुंचने के बाद शिकायतकर्ता ने फोरम में केस कर दिया।
जुर्माने की राशि को स्टेट कमीशन ने चार गुना बढ़ाया
आयोग के अनुसार, शाकाहारी पति-पत्नी को बिना बताए नॉन-वेजिटेेरियन खाना परोसना न केवल सेवा में कोताही है, बल्कि हिंदू धर्म से और शुद्ध शाकाहारी होने के चलते यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का भी प्रयास है। शिकायतकर्ता के अनुसार, उन्होंने अपनी शिकायत लिखने के लिए कंप्लेंट बुक मांगी, लेकिन वह भी केबिन क्रू ने नहीं दी।
राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 40 हजार रुपए जुर्माना लगाया
इन दलीलों के साथ राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग यूटी ने उपभोक्ता फोरम के आदेशों में बदलाव करते हुए एयर इंडिया पर लगाए गए जुर्माने को चार गुना बढ़ाकर 40 हजार रुपये कर दिया। उपभोक्ता फोरम ने 10 हजार रुपये का जुर्माना एयर इंडिया पर किया था। इसी तरह आयोग ने फोरम द्वारा तय 7 हजार रुपये मुकदमा खर्च देने के आदेशों को भी बरकरार रखा है।
आदेश की प्रति मिलने पर 30 दिनों के अंदर इन आदेशों का पालन करना होगा, नहीं तो मुआवजा राशि पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा।