देओल परिवार की फिल्म Pal Pal Dil Ke paas की रिपोर्ट निगेटिव आई है। दर्शकों ने इसे कतई पसंद नहीं किया। ना तो करण देओल की एक्टिव में दम नजर आया और ना ही कहानी ही किसी को बांधकर रख सकी। इस फिल्म का निर्देशन करण के पापा sunny deol ने किया है।
करण देओल से तो सहर बाम्बा की एक्टिंग अच्छी है
सनी देओल के निर्देशन में बनी बेटे करण देओल की डेब्यू फिल्म पल पल दिल के पास शुक्रवार को रिलीज हुई। यह एक लव स्टोरी फिल्म है जिसमें कुछ भी नया नहीं है। फिल्म की शूटिंग रियल लोकेशन्स पर की गई है जिसका काम पर्दे पर दिखता है लेकिन करण की एक्टिंग निराश करने वाली है। सहर बाम्बा का काम अच्छा है। इसके अलावा फिल्म की कहानी भी काफी कमजोर है। जब ऑडियंस वीर-जारा, रॉकस्टार, बर्फी और अक्टूबर जैसी फिल्में देख चुकी है जिसमें लव स्टोरी का एक अलग ही लेवल दिखाया गया है तो ऐसे में करण-सहर की सिंपल लव स्टोरी बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करती है।
रियल लोकेशन्स दर्शकों को पसंद आईं
फिल्म में करण देओल 'करण सहगल' और सहर बाम्बा 'सहर सेठी' की भूमिका में हैं। करण एक ट्रेकिंग कंपनी के मालिक हैं जो मनाली में संचालित है। सहर के घर में फैमिली रियूनियन का प्लान होता है, लेकिन वह इसे अटेंड नहीं करना चाहती हैं। ऐसे में वह परिवार के सामने असाइनमेंट का बहाना बनाकर करण की कंपनी की सर्विस का रिव्यू करने के लिए दिल्ली से मनाली चली जाती हैं। फर्स्ट हाफ में सहर और करण का खतरनाक और ऊंचे पहाड़ों पर ट्रैकिंग करना दिलचस्प और रियल लगता है। इसके अलावा मनाली की खूबसूरती को भी पर्दे पर शानदार तरीके से परोसा गया है।
स्क्रिप्ट बोझिल, स्लो मोशन ज्यादा है
सेकेंड हाफ में दोनों के रिश्ते के बीच सहर और उसके एक्स बॉयफ्रेंड विरेन नारंग (आकाश आहूजा) की फैमिली भी शामिल हो जाती है। यही से कहानी आगे बढ़ती है। करण और विरेन के बीच टकराव भी देखने को मिलता है लेकिन कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है। स्क्रिप्ट बोझिल लगती है और फिल्म स्लो मोशन में चलती रहती है।
करण देओल एक्टिंग से ज्यादा ट्रैकिंग में अच्छे लगे
फिल्म में करण से ज्यादा सहर बाम्बा की एक्टिंग प्रभावित करती है। वह पर्दे पर कॉन्फिडेंट दिखती हैं और ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता है कि यह उनकी पहली फिल्म है। सहर का गुस्सा, इमोशंस और प्यार वाले एक्सप्रेशेंस उनकी एक्टिंग में झलकती है। वहीं करण को अपनी एक्टिंग में अभी और काम करने की जरूरत है। फेशियल एक्सप्रेशेंस, बॉडी लैंग्वेज और एक्टिंग के मामले में वह काफी कमजोर दिखाई पड़ते हैं लेकिन हां, फिल्म में वह ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर ट्रैकिंग करते हुए सहज दिखाई देते हैं। इस मामले में उनका काम काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने शूटिंग से पहले ट्रैकिंग की 10 महीने ट्रेनिंग ली थी जिसका काम पर्दे पर साफ दिखता है।
डायरेक्शन में सनी देओल पास
सनी देओल ने अच्छा डायरेक्शन किया है लेकिन जब कहानी में कुछ नयापन न हो तो निर्देशन कितना भी अच्छा क्यों न हो, दर्शक प्रभावित नहीं होते हैं। सनी ने मनाली के खूबसूरत और शानदार लोकेशन को दिखाने के लिए अपनी निर्देशन कला का बेहतरीन इस्तेमाल किया है। कैमरा वर्क और विजुअल पर किया गया काम अच्छा है।
म्यूजिक: फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है लेकिन इसमें एक भी ऐसा गाना नहीं है जो लोगों की जुबान पर चढ़ जाए। टाइटल सॉन्ग को सिंगर अरिजीत सिंह ने गाया है. यह गाना ठीक-ठाक है लेकिन प्रभावित नहीं करता है।