भोपाल। मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने तर्क दिया है कि दशहरा दीपावली अवकाश 24 दिन घोषित करने में विधानसभा में पारित संकल्प में अनुसार आरटीई के प्रावधानों का पालन नहीं होगा। प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालयों में न्यूनतम 220/200 दिन विद्यालय लगना अनिवार्य है, इसलिए उक्त अवकाश घोषित करना अव्यावहारिक है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार व प्रांतीय सचिव जगमोहन गुप्ता ने संयुक्त प्रेस नोट में तत्थ्यात्मक जानकारी अनुसार बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी अपने ही कैलेंडर से शैक्षणिक दिवस की गणना में विभागीय तर्क नाकाफी है।
विभागीय कैलेंडर अनुसार सत्र 2019-20 में "सामान्य, विभागीय व रविवार" के अवकाश छोड़कर "शैक्षणिक दिवस" माह वार-अप्रैल-22, जून-06, जुलाई-27, अगस्त-23, सितम्बर-24, अक्टूबर-17, नवम्बर-25, दिसम्बर-20, जनवरी-27, फरवरी-24 व मार्च-24 इस प्रकार कुल शैक्षणिक कार्य दिवस 239 होते है। माननीयों द्वारा पारित संकल्प अनुसार आदेश जारी करने से "पूर्व में घोषित अवकाश" (दशहरा-04 दिन, दीपावली 06-दिन कुल 10 दिन) में केवल 11-दिन (03-दिन "रविवार" छोड़ कर) अवकाश घोषित करने से सदन एवं माननीयों का सम्मान तो होगा ही, साथ ही आरटीई के प्रावधानों के अनुसार 239 -11 = 228 दिन शैक्षणिक दिवस रहेंगे जो प्राथमिक/माध्यमिक के लिए 08/28 दिन अधिक ही है।
शिक्षा विभाग द्वारा अपने ही शैक्षणिक कैलेंडर को आधार बनाकर अवकाश घोषित करने में प्रस्तुत तर्क नाकाफी है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्रीमान कमलनाथ जी एवं स्कूल शिक्षा मंत्री माननीय श्रीमान प्रभुराम चौधरी जी से मांग करता है कि सदन में पारित संकल्प अनुसार आदेश जारी करवाकर सदन की मर्यादा बरकरार रखते हुए संस्कृति की रक्षा में योगदान प्रदान करने का कष्ट करें।