भारत में सभी संविदा कर्मचारियों को समान काम समान वेतन के आदेश जारी किए | SAMVIDA KARMACHARI NEWS

Bhopal Samachar
नई दल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्र के विभिन्न विभागों में काम कर रहे दस लाख अनियमित (कैजुअल) कर्मचारियों को अब नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलेगा। (Temporary / irregular / contract employees, Equal work equal pay order issued.) प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने बुधवार को इस संदर्भ में आदेश जारी किया। अब देश की सभी राज्य सरकारों को भी अपने संविदा कर्मचारियों समान काम समान वेतन देना पड़ेगा। 

समान वेतन आदेश संख्या 49014/1/2017, नियमितीकरण नहीं

आदेश के अनुसार, अब सभी अनियमित कर्मचारियों को आठ घंटे काम करने पर उसी पद पर काम करने वाले नियमित कर्मचारियों के वेतनमान के न्यूनतम मूल वेतन और महंगाई भत्ते के बराबर ही भुगतान होगा। वे जितने दिन काम करेंगे, उन्हें उतने दिनों का भुगतान होगा। हालांकि आदेश संख्या 49014/1/2017 के अनुसार उन्हें नियमित रोजगार पाने का हक नहीं होगा।

अकुशल श्रमिकों को 30 हजार रुपए महीना

फिलहाल इन कर्मचारियों को संबंधित राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन मिल रहा था। दिल्ली सरकार ने अकुशल श्रमिकों के लिए 14,000 रुपये महीने का वेतन तय किया है, लेकिन इस आदेश के बाद उन्हें ग्रुप डी के वेतनमान में न्यूनतम वेतन यानी 30,000 रुपये महीने की दर से भुगतान होगा। यानी एक ही बार में उनकी आमदनी दोगुनी हो जाएगी।

समान काम नहीं है तो अनियमित कर्मचा​री को कितना वेतन

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी अनियमित कर्मचारी का काम नियमित कर्मचारी के काम से अलग है तो उसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन के आधार पर ही भुगतान किया जाएगा। सभी मंत्रालयों और विभागों को भेजा डीओपीटी का यह आदेश ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के आधार पर दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है।

अस्थाई कर्मचारियों की शंका

सरकार के स्पष्ट आदेश के बावजूद ट्रेड यूनियन नेता इसके लागू हो पाने को लेकर शंका जता रहे हैं। देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ के पूर्व अध्यक्ष बैजनाथ राय का कहना है कि इस तरह के कई आदेश पहले भी जारी हुए लेकिन लागू नहीं किए गए।

आउटसोर्स कर्मचारियों का क्या होगा

चूंकि अब सरकार ने ग्रुप सी और डी की अधिकतर नौकरियां निजी ठेकेदारों को आउटसोर्स कर दी हैं, ऐसे में आदेश को लागू करा पाना सबसे बड़ी चुनौती है। सीटू नेता तपन रॉय का कहना है कि यह केवल केंद्रीय कर्मचारियों के लिए है, इसीलिए डीओपीटी द्वारा जारी किया गया है। यदि श्रम मंत्रालय ने जारी किया होता तो सभी कर्मचारियों के लिए होता। उन्होंने भी इसके लागू होने पर संदेह प्रकट किया।

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