भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि भारत सरकार ने एक आदेश जारी करते हुये अपने सभी केन्द्रीय कार्यालयों को निर्देश दिये हैं कि संविदा पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को समान कार्य समान वेतन दिया जाए, आदेश में उल्लेख किया गया है कि जहां भी संविदा कर्मचारी नियमित कर्मचारी के समान 8 घंटे कार्य करता है वहां पर समान पद पर समान प्रकृति का कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के न्यूनतम वेतन तथा उस पर मंहगाई भत्ता दिया जाना सुनिश्चत किया जाए।
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने मप्र में मुख्यमंत्री तथा मुख्यसचिव कार्यालय को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि म.प्र. में भी विभागों और उनकी योजनाओं और परियोजनाओं में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों को भी वेतनमान का 90 प्रतिशत् की जगह 100 प्रतिशत न्यूनतम वेतनमान तथा उपभोक्ता मूल्यसूचंकाक की जगह मंहगाई भत्ता दिये जाने के आदेश करने चाहिए।
संविदा महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि यह निर्णय संविदा कर्मचारियों के सबंध में सुप्रीम कोर्ट के समान कार्य समान वेतन दिये के निर्णय के परीप्रेक्ष्य में केन्द्र सरकार ने जारी किया है। महासंघ के राठौर ने यह भी बताया कि म.प्र. सरकार जब संविदा नीति बना रही थी उस समय म.प्र. में भी संविदा महासंघ ने मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को सुप्रीम कोर्ट के समान कार्य समान वेतन दिये जाने के निर्णय की कापी सौंपकर की मांग की थी कि म.प्र. में बनाई जा रही संविदा नीति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाए लेकिन यहां पर संविदा नीति बनाने वाले अधिकारियों ने भांझी मारते हुये समान वेतन देने की बजाए नियमित पद के वेतन का 90 प्रतिशत् वेतन का प्रावधान कर दिया और मंहगाई भत्ते की जगह उपभोक्ता मूल्यसूंचकांक का प्रावधान कर दिया।
केन्द्र सरकार की योजनाओं जैसे एनआरएचएम, मनरेगा, एम.पी.आर.आर.डीए. जैसे अनेक केन्द्रीय योजनाओ में संविदा पर कर्मचारी कार्य कर रहे थे उन्हें म.प्र. सरकार के द्वारा जो 90 प्रतिशत् का आदेश जारी किया था उस आदेश का पालन भी यह कहकर नहीं कर रहे थे कि तुम तो केन्द्र सरकार की योजनाओं में कार्य कर रहे हो ये तो राज्य सरकार के विभागों में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों के लिए आदेश है।
लेकिन केन्द्र सरकार के इस आदेश से केन्द्र सरकार की योजनाओ में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों को जिनको राज्य सरकार के अधिकारी यह कहकर राज्य सरकार के संविदा नीति के 90 प्रतिशत् का लाभ नहीं दे रहे थे उन्हें भी अब इस समान कार्य समान वेतन के आदेश के तहत् नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन देना पढ़ेगा।