जबलपुर। हिंदुओं का पवित्र त्यौहार नवरात्रि आ गया है। इन 9 दिनों में लोग कई तरह के संकल्प लेते हैं। उनके संकल्प धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होते हैं परंतु यदि आप ZOMATO पर फूड आर्डर करते हैं तो संभव है ना केवल आपके व्यक्तिगत संकल्प टूट जाएं बल्कि बात का बतंगड़ बन जाए और आप एक नए तनाव का सामना करें।
पंडित अमित शुक्ला का श्रावण भंग हो गया था
इसी साल 2019 में पवित्र श्रावण मास के दौरान जबलपुर के पंडित अमित शुक्ला ने Zomato को फूड डिलीवरी के लिए आउटसोर्स किया था। कंपनी ने जिस कर्मचारी को डिलीवरी के लिए नियुक्त किया, ग्राहक को वो पसंद नहीं आया और उसने कंपनी से डिलीवरी बॉय बदलने का अनुरोध किया। पंडित अमित शुक्ला ने पूरी ईमानदारी से बताया कि वो एक ब्राह्मण है, श्रावण का पवित्र महीना चल रहा है और डिलीवरी बॉय स्वभाविक मांसाहारी है, अत: कृपया डिलीवरी बॉय बदलें। Zomato ने ना तो डिलीवरी बॉय बदला और ना ही ग्राहक द्वारा आदेश निरस्त करने पर उसके पैसे वापस किए। उल्टा ग्राहक का तमाशा बना दिया। पंडित अमित शुक्ला ने इसके लिए कंपनी के कर्मचारियों को दोषी माना ओर प्रबंधन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एक ट्वीट किया। Zomato ने इस ट्वीट पर रिप्लाई किया 'Food doesn’t have a religion. It is a religion.' यानी 'भोजन सामग्री का कोई धर्म नहीं होता बल्कि भोजन खुद एक धर्म होता है।' इसके बाद देश भर में इस पर बहस होती रही। पुलिस ने मामले की जांच कराई। कंपनी को फायदा हुआ या नुक्सान यह तो कंपनी जाने परंतु पंडित अमित शुक्ला का श्रावण भंग हो गया।
वकील शनमुख देशमुख को गुरूवार व्रत के दिन 2 बार मांस परोस दिया था
बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) के वकील शनमुख देशमुख के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था परंतु वो कंपनी के दवाब में नहीं आए उल्टा उन्होंने कंपनी को सबक सिखाने का निर्णय लिया और इसकी शिकायत उपभोक्ता फोरम में की। कोर्ट ने जोमैटो और रेस्त्रां को 45 दिन में 55 हजार रुपए का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। एडवोकेट देशमुख ने बताया कि वह पिछले साल 31 मई 2018 को पुणे गए थे। यहां जोमैटो ऐप से पनीर बटर मसाला ऑर्डर किया, लेकिन डिलीवरी बॉय उन्हें चिकन बटर मसाला दे गया। शिकायत करने पर रेस्टोरेंट ने फिर से पनीर बटर मसाला भेजने की बात की, लेकिन दूसरी बार उन्हें बटर चिकन मिला। उस दिन गुरुवार था और मेरा व्रत था।