भोपाल। मप्र वित्त विभाग ने दिनांक 31 मई 2011 को कर्मचारियों से बकाया वसूली का एकतरफा आदेश जारी कर रखा हैं। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि किसी भी स्थिति में कर्मचारी स्वयं "अधिक भुगतान" प्राप्त नहीं कर सकता है, इसके लिए गलत गणना करने वाले दोषी होते हैं; कर्मचारी नहीं। फिर भी कर्मचारियों से अधिक भुगतान राशि की वसूली तक तो ठीक है, पर ब्याज की वसूली न्यायसंगत नहीं है।
कर्मचारियों से 12% चक्रवृद्धि ब्याज वसूलना अन्याय
उक्त आदेश एकतरफा है, इसके तहत विगत लगभग नौ वर्षों से बकाया राशि के साथ 12% चक्रवृद्धि ब्याज सहित वसूली की जा रही है, जो न्याय संगत नहीं है। इस अवधि में कई बार "रिजर्व बैंक" ने रेपो रेट कम की है, इसके प्रकाश में सरकार/बैंकों ने जीपीएफ, पीएफ/जमा राशि पर ब्याज व ईएमआय कम कर दी हैं लेकिन इस आदेश में कोई संशोधन नहीं किया गया हैं। पूरे देश में केवल मप्र को छोड़कर कहीं भी इस प्रकार 12% ब्याज नहीं वसूला जा रहा हैं।
गलती करने वालों को दंडित करें, एरियर पर भी 12% चक्रवृद्धि ब्याज दें
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्रीमान कमलनाथ जी व वित्त मंत्री श्रीमान तरूण भनोट से मांग की है कि उक्त आदेश को संशोधित कर "कर्मचारियों के देय स्वत्वों एवं एरियर राशि व अधिक भुगतान दोनों पर समान दर से ब्याज भुगतान के प्रावधान के साथ जवाबदेही सुनिश्चित की जावे।" इससे दुर्भावनापूर्ण कर्मचारियों को अधिक भुगतान करने सहित भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी व कम-ज्यादा भुगतान की व्यवस्था ही समाप्त हो जाएगी। इस संबंध में "मेल" से माननीय मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जी को पत्र प्रेषित किया जाएगा।