प्रवीण धींगरा/जोधपुर । रेलवे जल्द ही 150 ट्रेनें और 50 स्टेशन निजी हाथों में सौंप देगा। रेलमंत्री और नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के बीच हुई कई दौर की बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया है। प्रोजेक्ट पर अमल के लिए सचिव स्तर के एम्पावर्ड ग्रुप को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस फैसले का खुलासा तीन दिन पहले नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव को लिखे पत्र से हुआ है। उन्होंने लिखा है कि रेलमंत्री से विस्तृत चर्चा के बाद यह तय किया गया है कि ट्रेन संचालन का जिम्मा निजी ऑपरेटर्स को दिया जाना है। पहले चरण में 150 ट्रेनें दी जाएंगी। ये ट्रेनें रेलवे की ओर से देशभर में चलाई जा रही ट्रेनों के लिए आदर्श बनेंगी।
इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए बनाए गए एम्पावर्ड ग्रुप में नीति आयोग के सीईओ, रेलवे बोर्ड चेयरमैन, इकॉनोमिक अफेयर डिपार्टमेंट के सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अरबन अफेयर के सचिव के साथ रेलवे बोर्ड के सदस्य इंजीनियरिंग और रेलवे बोर्ड सदस्य ट्रैफिक को भी शामिल किया गया है।
विश्व स्तरीय सुविधा वाले 400 स्टेशन तैयार हुए नहीं, अब 50 का होगा निजीकरण
कांत ने अपने पत्र में रेलवे बोर्ड चेयरमैन को यह लिखा कहा है कि रेलवे को देश के 400 स्टेशनों को विश्व स्तरीय सुविधाओं वाला बनाना था, लेकिन कई साल से चल रहे इस प्रोजेक्ट में कुछ खास उपलब्धि नहीं मिली। महज कुछ स्टेशन ईपीसी मोड पर हाथ में लिए गए। ऐसे में अब 50 स्टेशनों का चयन कर उन्हें प्राथमिकता में लाया जाएगा। इसके लिए छह एयरपोर्ट के निजीकरण करने का जो अनुभव रहा है, उसी तर्ज पर एम्पावर्ड ग्रुप काम करेगा।
कर्मचारी तेजस के विरोध में लगे हैं और रेलवे निजीकरण में
हाल ही, लखनऊ से दिल्ली के बीच देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस को हरी झंडी दिखाने के साथ देशभर में रेलवे कर्मचारी विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं। 150 ट्रेन और 50 स्टेशन को लेकर हुए फैसले की जानकारी भी कर्मचारियों तक पहुंचने लगी है। ऑल इंडिया रेलवेमैन्स फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा का कहना है कि रेलवे का सबकुछ निजी हाथों में जाने वाला है, यह तय है। ऐसे में हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा।