भोपाल। मध्यप्रदेश के 187 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। प्रमाणित हो गया है कि अब वो किसी काम के नहीं हैं और कम से कम शिक्षक पद के योग्य तो कतई नहीं हैं। शिक्षक संवर्धन परीक्षा के तहत इन्हे दूसरा मौका दिया गया था। दूसरी बार भी किताब से देखकर उत्तर लिखने थे परंतु ये 70 शिक्षक उन प्रश्नों के उत्तर किताबों में नहीं खोज पाए जिनके पढ़ाने का इन्हे वेतन मिलता है। इस बार 117 शिक्षक तो परीक्षा देने ही नहीं आए। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी पहले ही इन शिक्षकाें काे हटाने के निर्देश दे चुके हैं।
कुल 3500 शिक्षक कमजोर पाए गए थे
उल्लेखनीय है कि मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं के गणित विषय में सबसे ज्यादा छात्रों के फेल होने के बाद विभाग ने सभी क्लास के परीक्षा परिणामों की जांच कराई थी। इसमें 30 प्रतिशत और उससे कम परीक्षा परिणाम देने वाले करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों को चिन्हित किया गया था। इनकी परीक्षा गत 12 जून को आयोजित की गई थी।
शिक्षकों और अधिकारियों के बीच डील हुई
इस बीच कमजोर शिक्षकों और अधिकारियों के बीच डील हो गई और नियम बदल दिया गया। शिक्षक किताब से नकल करके परीक्षा में उत्तर लिख सकते थे। पेपर 3 घंटे का था, लेकिन 15 मिनट अलग से पेपर को पढ़ने के लिए दिए गए थे। किताब से नकल करने के बाद भी करीब 1400 शिक्षक फेल हो गए थे।
117 परीक्षा देने नहीं आए, 70 फेल हो गए
विभाग ने फेल होने वाले शिक्षकों को एक और मौका देते हुए पांच महीने बाद 14 अक्टूबर को दोबारा परीक्षा आयोजित की। इसमें करीब साढ़े 12500 शिक्षक ही शामिल हुए, जबकि 117 शिक्षक परीक्षा देने ही नहीं पहुंचे। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कॉफियों की जांच के बाद उनका रिजल्ट लोक शिक्षक विभाग को भेज दिया गया। कुल 70 शिक्षक फेल हो गए हैं। अब 117 अनुपस्थित और 70 फेल को मिलाकर कुल 187 शिक्षकों को वीआरएस थमाने की तैयारी की जा रही है।