भोपाल का विभाजन हुआ तो आधा शहर बर्बाद हो जाएगा, 2 मिनट में समझिए | BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। नगर निगम भोपाल का विभाजन आधे शहर के लिए तबाह करने वाला फैसला होगा। सरल शब्दों में बताएं तो प्रस्तावित कोलार नगर निगम में रहने वाले लोग, प्रस्तावित भोपाल नगर निगम में जाकर कारोबार करेंगे और वहीं टैक्स भी चुकाएंगे। जिससे प्रस्तावित भोपाल नगर निगम मालामाल हो जाएगा और अत्याधुनिक सुविधाएं दिखाई देंगी परंतु प्रस्तावित कोलार नगर निगम एक जनपद पंचायत जैसी हालत में आ जाएगा जहां ना सड़कें होंगी और ना ही पेयजल। 

बंटवारा 50/50 नहीं 60/40 होगा। 

भोपाल में दो नगर निगम बने तो इसक टैक्स कलेक्शन भी 2 हिस्सों में बांटा जाएगा। जिस निगम के हिस्से में जितनी संपत्तियां होंगी, उसे ही उनका टैक्स भी मिलेगा। कहने को तो यह बहुत न्यायोचित नजर आता है परंतु व्यवहारिक रूप से यह काफी डरावना है। भोपाल नगर निगम को अभी हर साल विभिन्न टैक्स के माध्यम से 200 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है। बंटवारे के बाद 60 फीसदी हिस्सा यानी 120 करोड़ भोपाल के खाते में चला जाएगा और 40 फीसदी हिस्सा यानी मात्र 80 करोड़ रुपए कोलार नगर निगम को मिलेगा। 

भोपाल से दोगुने कोलार को मात्र 40 प्रतिशत मिलेगा, तो बर्बादी सुनिश्चित है

खास बात यह है कि प्रस्तावित कोलार नगर निगम का क्षेत्रफल भोपाल नगर निगम से काफी बड़ा है। यह लगभग दोगुना है। आबादी बहुत ज्यादा है। सड़कें, पाइप लाइन और सबकुछ बिछा हुआ है। इनकी मरम्मत भी नियमित रूप से करानी है। रिहायशी इलाकों में खर्चा ज्यादा और आय कम होती है जबकि कमर्शियल इलाकों में आय ज्यादा और खर्चा कम होता है। कोलार नगर निगम का सारा बजट ​मरम्मत पर ही खर्च हो जाएगा। जबकि भोपाल के पास भरपूर पैसा होगा तो वो सभी आधुनिक विकास आसानी से करता चला जाएगा। आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन के अनुसार कौन सा इलाका किस नगर निगम में जाएगा, पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

सारे बाजार और लक्झरी पुराने भोपाल में

पुराने भोपाल में कमर्शियल इलाके ज्यादा हैं, इसलिए यहां प्रॉपर्टी टैक्स अधिक मिलता है। भोपाल नगर निगम की निर्धारित सीमा में चौक बाजार, जुमेराती, कैटेगराइज्ड मार्केट, आजाद मार्केट हैं। वहीं, इसी में न्यूमार्केट, एमपी नगर, बिट्टन मार्केट, 10 नंबर आदि बड़े मार्केट आते हैं। इसके अलावा भोपाल नगर निगम के तहत सरकारी कार्यालय व आवास भी हैं, जिससे सेवा प्रभार के रूप में 20 करोड़ से अधिक की आय होती है। इससे आने वाली बड़ी रकम भोपाल नगर निगम को मिलेगी। भोपाल नगर निगम की आय मौजूदा करों के हिसाब से 120 करोड़ रुपए होगी।

प्रस्तावित कोलार नगर निगम केवल रिहायशी इलाका है

वहीं, प्रस्तावित कोलार नगर निगम की सीमा में कमर्शियल एरिया कम है। यहां सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स रिहायशी क्षेत्रों से आता है। इसमें कमर्शियल क्षेत्र के नाम पर गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र है, यहां से करीब तीन करोड़ का टैक्स मिलता है। होशंगाबाद रोड में दो बड़े शॉपिंग मॉल तो हैं, लेकिन इनका मामला भी कोर्ट में उलझा हुआ है। जिससे टैक्स नहीं मिलता। कोलार को सालाना 80 करोड़ रुपए टैक्स मिलेगा।

इस तरह आधा शहर बर्बाद हो जाएगा

कोलार नगर निगम इलाके में रिहाइशी कॉलोनियां हैं, यहां व्यवसायिक क्षेत्र कम हैं। बुनियादी सुविधाओं के लिए ज्यादा संसाधन और फंड की जरूरत होगी, लेकिन आय कम होने से यहां का विकास ठप हो जाएंगे। कर्मचारियों का वेतन, सड़क और पाइप लाइन इत्यादि की मरम्मत में ही सारा बजट खर्च हो जाएगा। प्रस्तावित कोलार में टैक्स से आय बढ़ाने की कोई संभावना नहीं है। प्रस्तावित कोलार क्षेत्रों में रहने वाले लोग प्रस्तावित भोपाल में जाकर काम करते हैं। यानी उनकी कमाई पर आधा शहर तो अत्याधुनिक स्मार्ट सिटी बन जाएगा और उनके निवास वाला शहर एक गांव की तरह नजर आएगा। जहां अच्छी सड़कें भी नहीं होंगी। 

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