इंदौर। भारतीय जनता पार्टी में शुचिता की राजनीति की प्रतीक एवं इंदौर की सबसे वरिष्ठ महिला नेता सुमित्रा महाजन के चिरंजीव मिलिंद महाजन के चारों तरफ एक बार फिर सरकारी शिकंजा कसने जा रहा है। कमलनाथ सरकार महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक लोन घोटाले का केस फिर से ओपन करने जा रही है। इस मामले में मिलिंद महाजन के खिलाफ पहले भी एफआईआर दर्ज की गई थी परंतु राज्य में भाजपा सरकार होने के कारण प्रकरण की पुनर्विवेचना की गई और मिलिंद महाजन का नाम निकाल दिया गया। यह करीब 30 करोड़ रुपए का घोटाला है।
क्या है मामला
30 जून 1927 को 92 साल पहले मराठी समाज के लिए महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक की स्थापना की गई थी। 1985 में सुमित्रा महाजन इसकी डायरेक्टर बनायी गयी थीं। 1997 में सुमित्रा महाजन के बडे़ बेटे मिलिंद महाजन बैंक के डायरेक्टर बना दिए गए। वो 2003 तक इस पद पर रहे। इसी दौरान अपात्र लोगों को 30 करोड़ रुपए का लोन बांटा गया।
मिलिंद महाजन सहित 16 पर FIR
जब इस मामले की शिकायतें हुईं तो मिलिंद महाजन सहित 16 लोगों के खिलाफ 2005 में सेंट्रल कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गयी। उस समय सुमित्रा महाजन केन्द्रीय मंत्री थीं और राज्य में बीजेपी की सरकार थी। पुनर्विवेचना में मिलिंद महाजन का नाम हटा दिया गया लेकिन अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है इसलिए इस मामले की फाइलें फिर खोली जा रही हैं।
RBI ने लाइसेंस निरस्त किया
महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक 1927 से 1998 तक फायदे में रही। मिलिंद महाजन को डायरेक्टर बनाए जाने के बाद अचानक ये बैंक घाटे में जाने लगी। सहकारिता विभाग ने इसे डी क्लास की श्रेणी में रखा। उसके बाद रिजर्व बैंक और सहकारिता विभाग ने नोटिस और चेतावनी दीं लेकिन कोई असर होता न देख 5 अक्टूबर 2004 को रिजर्व बैंक ने इसका लाइसेंस निरस्त कर दिया। उस समय बैंक की चार शाखाओं में 11500 डिपॉजिटर थे। सभी की जीवन भर की कमाई डूब गयी। क्योंकि बैंक के घाटे में जाने के बावजूद करोड़ों रुपए के लोन बांट दिए गए थे। बैंक में भ्रष्टाचार का ये आलम रहा कि लिफ्ट लगाने के नाम पर 25 लाख रुपए निकाल लिए गए और लिफ्ट कागजों पर लग गई सुमित्रा महाजन की निज सचिव वंदना महस्कर के पति बसंत महस्कर ने 35 लाख, विकास पुंडलिक ने 50 लाख रुपए बतौर लोन ले लिया, ठेले वालों गुमटी वालों तक नाम पर 10-10 लाख रुपए लोन चढ़ा दिए गए।
महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक के बड़े डिफॉल्टर
1. विकास पुंडलिक (डायरेक्टर) - 50 लाख
2. बसंत महस्कर (डायरेक्टर) - 35 लाख
3. अभय दुबे - 53 लाख
4. गजानंद त्रिवेदी - 50 लाख
5. नितिन पल्टनवाले - 40 लाख
6. श्रीकांत जोशी - 50 लाख
7. कैलाश सिंघड़े - 30 लाख
8. रेणुका बिल्डर्स - 20 लाख
9. मनीष पाल - 25 लाख
10. शशिकांत बापट - 20 लाख रुपए
मिलिंद महाजन की अहम भूमिका
पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद महाजन 1997 से 2004 तक महाराष्ट्र ब्राह्मण के डायरेक्टर रहे। इन सात सालों में संचालक मंडल की करीब 350 बैठकें हुईं। इसमें से करीब 290 में मिलिंद भी शामिल हुए। इन्हीं बैठकों में लोन, खरीदी-बिक्री के फैसले हुए थे। महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक पर साल 1997 से 2002 तक मिलिंद महाजन के पैनल का कब्जा रहा। 2002 में हुए चुनाव में फिर यही पैनल जीता।
बैंक में अधिकतर रिटायर्ड लोगों को पैसा जमा था। इनमें से 600 लोगों की मौत हो गई। कई लोग गंभीर बीमारियों का शिकार होकर इलाज के अभाव में काल के गाल में समा गए। मामले में सिर्फ तीन लोग बसंत महस्कर, यशवंत डबीर और विकास पुंडलिक मनमर्जी से लोन बांटने में दोषी साबित हुए। तीनों को 5-5 साल की सजा हुई जो हाईकोर्ट के आदेश पर ज़मानत पर रिहा हैं।
सहकारिता विभाग ने लगाई 1 करोड़ की पेनल्टी
बैंक में भारी भ्रष्ट्राचार और अनियमितता के मामले में सहकारिता विभाग ने मिलिंद महाजन सहित तत्कालीन संचालकों पर करीब 1 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई जिसकी वसूली आज तक नहीं की गई है। इस मामले में बैंक के पूर्व अध्यक्ष रहे अनिल कुमार धडवईवाले ने सीएम कमलनाथ को पूरे दस्तावेजों के साथ शिकायत की। उसके बाद अब ये मामला खोला जा रहा है।
सुमित्रा महाजन ने बयान देने से इंकार किया
इस मामले में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मीडिया से बात नहीं की। कई पत्रकारों ने उनसे कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया। उधर इस मामले के जमाकर्ताओं ने दो दिन पहले इंदौर आए मुख्य सचिव एस आर मोहंती से भी मुलाकात कर अपना पैसा दिलाने की मांग की। ये घोटाला भी महाराष्ट्र के पीएमसी घोटाले जैसा ही है क्योंकि इस मामले में भी कोर्ट ने सिर्फ 8 फीसदी रकम लौटाने की बात कही है।