भोपाल। भारतीय प्रशासनिक सेवा मध्य प्रदेश कैडर के 48 अफसर ऐसे हैं जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार एवं विभागीय जांच चल रही है। इनके खिलाफ कुल 85 मामले दर्ज हैं। आईएस रमेश सिटी के खिलाफ 27 मामले दर्ज हैं। पता देखी आबकारी विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर आलोक खरे के करोड़ों के काला धन के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की मांग की है कि दागी अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जानी चाहिए।
मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार इन दिनों इस तरह के अफसरों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई कर रही है। अब तक करीब 50 से अधिक आईएएस अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। यही फार्मूला मध्यप्रदेश में भी लागू किया गया तो ये वो 48 आईएएस आईएएस अफसर होंगे जिन्हें वीआरएस दे दिया जाना चाहिए।
इन IAS अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच चल रही है
आरडी अहिरवार, आरके गुप्ता, सीबी सिंह, ओआर तिवारी, रमेश थेटे, अखिलेश श्रीवास्तव, प्रकाश जांगरे, एनबीएस राजपूत, विनोद शर्मा, एमके सिंह, प्रमोद अग्रवाल, डॉ. एम गीता, विवेक पोरवाल, निसार अहमद, मुक्तेश वार्ष्णेय, अरुण तोमर, वेदप्रकाश, डॉ. जे. विजय कुमार, अजीत केसरी, पीएल सोलंकी, मनीष श्रीवास्तव, मनीष सिंह, मनोज श्रीवास्तव, अशोक शाह, प्रवीण अढायच, गोपाल चंद्र डांढ, एमसी चौधरी, रजनीश श्रीवास्तव, मनोज पुष्प, महेश चौधरी, मनु श्रीवास्तव, अविनाश लवानिया, मुकेश शुक्ल, एनएस परमार, अरुणा शर्मा, उर्मिला शुक्ला, अंजू सिंह बघेल, आरपी मंडल, एम कुजूर, डीपी तिवारी, सत्यप्रकाश वर्मा, अशोक वर्मा, एमए खान, महेंद्र सिंह भिलाला, लक्ष्मीकांत द्विवेदी, स्वतंत्र कुमार सिंह, श्रीनवास शर्मा, विनोद कुमार शर्मा।
यह सूची विधानसभा में विश्वास सारंग के एक प्रश्न के उत्तर में शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है।