भोपाल। मध्यप्रदेश के लगभग हर शहर तक ह्यूमन ट्रैफिकिंग माफिया की पहुंच हो गई है। भोपाल और इंदौर जैसे शहर में मानव तस्करों का गिरोह मजबूती से जड़ें जमा चुका है। जनवरी से जून तक मात्र 6 माह में इंदौर से 349 तो भोपाल से 256 लड़कियां लापता हैं। इनमें से ज्यादातर 14 से 17 साल के बीच हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड आंकड़ा है। इतनी बड़ी संख्या में लड़कियां लापता होने की घटनाएं कभी नहीं हुईं। दूसरा चौंकाने वाला पहलू यह है कि लड़कियों के लापता होने की सर्वाधिक घटनाएं शहरी इलाकों में हो रहीं हैं।
भोपाल शहर से रिकॉर्ड 256 लड़कियां गायब
प्रदेश के हर शहर में हर साल औसतन 300 परिवार ऐसी घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। भोपाल से 2018 में 386 नाबालिग लड़कियां गायब हुई थीं। 2019 में जनवरी से जून तक 256 नाबालिग लड़कियां गायब हो गईं हैं। यानी इस साल यह आंकड़ा 400 के पार जा सकता है। बीते 7 साल में किसी एक साल और छह माह में गायब होने वाली लड़कियों की यह संख्या सर्वाधिक है। यह बेचैन कर देने वाला खुलासा 2012 से 2019 (जून माह तक) के हर जिले से गायब हुए बच्चों के आंकड़ों के विश्लेषण में हुआ है।
इंदौर से रिकॉर्ड 349 लड़कियां गायब हुईं
पुलिस मुख्यालय के अपराध अनुसंधान विभाग से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में सबसे ज्यादा नाबालिग लड़कियां शहरी इलाकों से गायब हो रही हैं। इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर समेत रीवा, सागर, सतना और उज्जैन जैसे शहरों में भी हर साल गायब होने वाली नाबालिग लड़कियों की संख्या बढ़ रही है। ग्रामीण आबादी वाले जिलों में लड़कियों के गायब होने की संख्या या तो कम हो रही है या स्थिर है। 2018 में इंदौर से 593 लड़कियां गायब हुईं। वहीं 2019 में जनवरी से जून तक 349 लड़कियां गायब हो गईं, जो किसी एक साल में व छह माह में प्रदेश के किसी भी जिले से गायब होने वाली लड़कियों की सर्वाधिक संख्या है।
HT माफिया क्या कर रहा है
पिछले साल दिल्ली में पकड़े गए एक ह्यूमन ट्रैफिकिंग माफिया कनेक्शन ने अपने बयान में बताया था कि अब वो लड़कियों का अपहरण नहीं करते बल्कि पूरा प्लान बनाकर उनके दिल और दिमाग पर कब्जा करते हैं। सोशल मीडिया के जरिए इस तरह की लड़कियों से दोस्ती बढ़ाते हैं फिर उसे महंगे मोबाइल और चीजों के लिए क्रेजी बनाते हैं। एक मोड़ ऐसा आता है जब लड़की इस तरह की लाइफ के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है और बस तभी घर छोड़कर आने को बोल देते हैं। कुछ पैसा खर्च होता है परंतु यह अपहरण से ज्यादा अच्छा है क्योंकि लड़की खुशी खुशी साथ बैठकर आती है।
पुलिस कुछ करती क्यों नहीं
ऐसे मामलों में पुलिस कुछ नहीं करती। वो शिकायतकर्ता माता-पिता या परिवारजनों को हतोत्साहित करने की कोशिश करती है। पुलिस एक खास ट्रिक का यूज करते हुए शिकायतकर्ताओं को बताती है कि तुम्हारी बेटी चरित्र हीन है। वो किसी के साथ भाग गई है। तुम उसे संस्कार नहीं दे पाए। बुरी संगत में होगी, बदचलन लड़कियां ऐसा ही करतीं हैं। यह सबकुछ पुलिस इसलिए करतीं हैं ताकि शिकायतकर्ता उन पर गुमशुदा लड़की तो तलाशने का दवाब ना बनाएं।