भोपाल। बदहाल आर्थिक स्थिति और अनिश्चित भविष्य कैसे एक शिक्षित वर्ग को मानसिक और शारीरिक रूप से जर्जर कर देता है, इसका सबसे दुखदायी उदाहरण मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग में पिछले 2 दशकों से कार्यरत अतिथि विद्वानों में रूप में देखा जा सकता है। बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक और उमा भारती, शिवराज सिंह से लेकर वर्तमान समय मे कमलनाथ तक के द्वार में दस्तक दे चुके प्रदेश के इन उच्च शिक्षित युवाओं को कुछ हाथ लगा है तो केवल आश्वासन और निराशा।
इसी कारण से अतिथि विद्वानों को गांधीजी के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए सत्याग्रह का सहारा लेना पड़ा है। न्याय यात्रा का प्रबंधन संभाल रहे अतिथि विद्वानद्वय डॉ मंजू व्यास और डॉ अरुण कुशवंशी ने कहा है कि सहायक प्राध्यापक परीक्षा में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच से मुकरने के बाद सरकार का अगला कदम अतिथि विद्वानों की रोजी रोटी का सहारा भी समाप्त करना प्रतीत हो रहा है। संदिग्ध दस्तावेजों की व्यवस्थित जांच से पीछे हटकर आनन फानन में नियुक्ति देना चाहती है।
इसलिए ऑनलाइन चॉइस फिलिंग की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जबकि अतिथि विद्वान 8 माह से मानदेय के अभाव में बदहाल है। खराब आर्थिक हालात ने अतिथि विद्वानों को इस हद तक तोड़ के रख दिया है कि अब उन्होंने क्लासरूम को छोड़कर सडको पर उतरने का निश्चय किया है। जब सरकार के पास अतिथि विद्वानों को देने के लिए पैसा नही है तो ये सरकार किस प्रकार नई नियुक्ति पा रहे सहायक प्राध्यापकों को पूरा वेतन दे पाएगी। जबकि अतिथि विद्वान इससे कई गुना कम मानदेय पर काम करते आये है।
न्याय यात्रा देवास से सोनकच्छ के लिए रवाना
अपने अधिकार प्राप्ति के लिए प्रारम्भ की गई न्याय यात्रा आज सुबह देवास से सोनकच्छ की ओर रवाना हो गई। यात्रा में बड़ी संख्या में महिला अतिथि विद्वान साथ चल रही है।
वचन 17.22 को पूरा करने की मांग कर रहे है अतिथि विद्वान
कांग्रेस पार्टी ने सत्ता प्राप्ति के पूर्व अपने वचनपत्र की कंडिका 17.22 में अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर न करने और नीति बनाकर नियमित करने का वचन दिया था। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक *डॉ देवराज सिंह* ने आरोप लगाया है कि सरकार गठन के 10 माह बीत जाने के बाद भी सरकार इस ओर गंभीर नही दिख रही है। बल्कि सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच से मुकरते हुए बिना दस्तावेजो की गहन जांच के आनन फानन में नियुक्ति की जल्दी में है।
महिला अतिथि विद्वानों ने संभाला मोर्चा
न्याय यात्रा की अगुवाई कर रहे अतिथि विद्वान *डॉ नगीन खेरदे और डॉ डालूराम यादव* का कहना है कि इस न्याय यात्रा में महिला अतिथि विद्वान साथियों ने बखूबी मोर्चा संभाला हुआ है। यात्रा के प्रबंधन से लेकर यात्रा के हर कदम में वे साथ चल रही है। शारदेय नवरात्र के पावन मास में सरकार की दमकारी नीतियों का मातृशक्ति ने हर संभव विरोध करने का फैसला किया है।
न्याय यात्रा आज सुबह देवास से पुनः प्रारम्भ की गई है और यह आज शाम तक सोनकच्छ पहुँच जाएगी। यात्रा उच्चशिक्षा मंत्री और देवास जिले के प्रभारी जीतू पटवारी के क्षेत्र में है। न्याय यात्रा के दौरान हम पूरे क्षेत्र में सरकार को वचनपत्र कंडिका 17.22 का स्मरण कराते आ रहे है।
डॉ मंसूर अली, प्रदेश प्रवक्ता