भोपाल। यदि भोपाल का विभाजन करके 2 नगर निगम बनाए गए तो भोपाल नगर निगम में केंद्र सरकार की हाउसिंग फॉर ऑल (सबके लिए आवास) स्कीम का लाभ किसी को भी नहीं मिल पाएगा क्योंकि प्रस्तावित भोपाल नगर निगम में नए मकान बनाने के लिए जमीन ही नहीं है।
पुराने शहर में हाउसिंग फॉर ऑल के लिए ये परेशानी आएगी
पुराने शहर में जमीन की कमी से पहले ही आवास के प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। ऐसे में पुराना शहर झुग्गी मुक्त नहीं हो पाएगा। यदि इन झुग्गियों के लिए आवास बनाया भी गया तो कोलार नगर निगम (नए शहर) में जमीन मिल पाएगी। ऐसे में कोलार नगर निगम अन्य नगर निगम के लोगों के लिए जमीन देने पर आपत्ति कर सकता है। यदि विवाद से बचने के लिए नए शहर से बाहरी सीमा में आवास के लिए जमीन चिन्हित की गई तो यह शहर से काफी दूर होगी, जिससे लोग दूर जाने से इनकार कर देंगे।
जमीन को लेकर परेशानी तो अभी भी है
बता दें कि भोपाल नगर निगम ने बाणगंगा क्षेत्र में 9 हजार से अधिक आवासों का निर्माण करने के लिए जमीन चिन्हित की थी। यहां मौजूदा झुग्गी बस्ती को हटाकर यहीं पर आवास देने की योजना थी। इसके टेंडर भी हो गए थे लेकिन चिन्हित जमीन पर एक ओर स्मार्ट रोड के कारण जमीन खत्म हो गई। वहीं, दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी की रोड और आवास का प्रावधान कर दिया गया। आखिरकार एमआईसी में इस एरिया से आवास के प्रोजेक्ट बनाने की योजना को निरस्त करना पड़ा। इसी तरह मंत्रालय के सामने बनी भीम नगर झुग्गी बस्ती के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है।
कई प्रोजेक्ट के लिए नहीं है जमीन
नगर निगम ने 51 हजार आवासों के निर्माण की डीपीआर तैयार की है। इन आवासों के निर्माण के लिए 500 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। लेकिन निगम के पास वर्तमान में 185 एकड़ ही जमीन है। जिससे कई प्रोजेक्ट चालू नहीं हो पा रहे हैं। निगम अधिकारियों की मानें तो बाणगंगा, भीम नगर, मैनिट पहाड़ी, कोलार की दामखेड़ा झुग्गियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें वहीं आवास दिए जाएं। लेकिन निगम के पास शहर के बाहरी सीमा में जमीन उपलब्ध है। झुग्गी एक बड़ा बोट बैंक भी होता है, ऐसे में स्थानीय नेता भी झुग्गियों को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं होने देंगे। पूर्व में नेता आपत्ति कर भी चुके हैं। ऐसे में हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम का लाभ मिलना मुश्किल होगा।
यह है प्रोजेक्ट की स्थिति :-
- वर्ष 2014-15 में झुग्गियों का सर्वे कर 1.5 लाख झुग्गियां चिन्हित की थीं।
- 51 हजार आवास बनाने के लिए डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है, इस पर 4800 करोड़ खर्च होंगे।
- अब तक 1500 करोड़ रुपए की लागत से 18 हजार आवासों के वर्कआर्डर हो चुके हैं।
- वर्तमान में 700 करोड़ से 7000 आवासों के काम चल रहे हैं। बाकी जमीन मिलने का इंतजार है।
- वर्ष 2022 तक झुग्गी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
यहां प्रस्तावित है हाउसिंग प्रोजेक्ट
- रिवेयरा टाउन के पास 288 एलआईजी
- 12 नंबर बस स्टॉप पर 288 ईडब्ल्यूएस, 216 एलआईजी व 216 एमआईजी
- कोकता में 2016 ईडब्ल्यूएस, 432 एलआईजी, 432 एमआईजी
- खजूरीकलां में 1296 ईडब्ल्यूएस, 792 एलआईजी
- मालीखेड़ी 1540 ईडब्ल्यूएस, 542 एलआईजी, 156 एमआईजी
- भानपुर में 768 ईडब्ल्यूएस, 720 एलआईजी
- बाग मुगालिया में 1584 ईडब्ल्यूएस, 504 एलआईजी, 144 एमआईजी
- हिनोतिया आलम में 576 ईडब्ल्यूएस
- परवाखेड़ा में 3120 ईडब्ल्यूएस, 792 एलआईजी
- महाबड़िया में 2880 ईडब्ल्यूएस व 1440 एलआईजी
- बिसनखेड़ी में 480 ईडब्ल्यूएस, 1224 एलआईजी
- उड़िया बस्ती में 1200 ईडब्ल्यूएस, 1296 एलआईजी
- बड़वई में 1920 ईडब्ल्यूएस, 576 एलआईजी व 504 एमआईजी
- गंगा नगर, श्याम नगर में 1008 ईडब्ल्यूएस, 144 एलआईजी, 216 एमआईजी मकान
- जय भीम नगर में 216 एमआईजी, ज्योतिबा फुले नगर में 576 ईडब्ल्यूएस, गौतम नगर में 480 ईडब्ल्यूएस
- वाजपेयी नगर में 144 ईडब्ल्यूएस, 936 एलआईजी, 288 एमआईजी
- बाणगंगा में 5632 ईडब्ल्यूएस, 2232 एलआईजी व 1440 एमआईजी