भोपाल। नगर निगम भोपाल की आज हुई बैठक में नगर निगम परिषद ने भोपाल शहर का विभाजन यानी शहर में दो नए नगर निगम का प्रस्ताव सिरे से खारिज कर दिया है। इस दौरान बैठक में भारी हंगामा हुआ, महापौर आलोक शर्मा ने कहा एक शहर में एक ही नगर निगम होना चाहिए। दो नगर निगम होने से शहर में लोगों के बीच भेदभाव होने लगेगा। धीरे धीरे एक शहर 2 शहरों में बट जाएगा।
पार्षदों ने आसंदी को चारों तरफ से घेर लिया
नगर निगम की बैठक शुरू होने के बाद कुछ पार्षद आसंदी के सामने धरना देकर बैठ गए जबकि बाकी सारे पार्षद आसंदी के सामने आकर खड़े हो गए। देखते ही देखते पार्षदों ने चारों तरफ से आसंदी को घेर लिया और हंगामा शुरू हो गया। इस पर हंगामे के बीच ही परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान ने वोटिंग कराई, जिसमें हाथ खड़े करने थे। इस पर भाजपा पार्षदों ने प्रस्ताव के विरोध में बहुमत के आधार पर ज्यादा खड़े हुए। इसके बाद अध्यक्ष ने सरकार के भोपाल में दो नगर निगम बनाने के प्रस्ताव को खारिज करने की घोषणा कर दी।
पार्षदों ने कई बार किया हंगामा
इसके पहले सुबह बैठक शुरू होने पर महापौर आलोक शर्मा ने अपना वक्तव्य शुरू किया। जैसे ही शर्मा ने ये कहा कि ये बंटवारा धार्मिक आधार पर हो रहा है, कांग्रेस पार्षदों ने हंगामा खड़ा कर दिया। उनकी मांग थी कि महापौर सदन के नेता हैं, इसलिए उन्हें सबसे आखिर में अपनी बात रखनी चाहिए। पहले पार्षदों को बोलने का मौका दिया जाएगा। इस पर हंगामा चलता रहा, कांग्रेस पार्षदों ने आसंदी घेर लिया।
नगरनिगम में तो प्रस्ताव खारिज होना ही था
दरअसल भोपाल नगर निगम की बैठक में तो यह प्रस्ताव खारिज होना ही था। भोपाल नगर निगम में कुल 85 पार्षद हैं जिनमें से एक भाजपा पार्षद की मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में सदन के भीतर भाजपा के 55 और कांग्रेस के 29 पार्षद हैं। भारतीय जनता पार्टी सिद्धांत रूप से भोपाल के विभाजन का विरोध शुरू से कर रही है। अतः नगर निगम की बैठक में यह प्रस्ताव खारिज होना ही था।