भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के आसमान पर जो बादल दिखाई दे रहे हैं, वो समुद्र से पानी भरकर आने वाले बादल नहीं बल्कि प्रदूषण के बाद हैं। इन बादलों के कारण भोपाल की हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है। सरकार के पास इस समस्या का कोई समाधान होना तो दूर की बात, इस तरफ सरकार का ध्यान तक नहीं है। दीपावली के अवसर पर जनता को अपना ध्यान खुद रखना होगा। अस्थमा के मरीज अपनी आपातकालीन दवाएं अपने साथ रखें। ज्यादा से ज्यादा घी के दीपक जलाएं और कम से कम आतिशबाजी जलाएं।
दिल्ली जैसा प्रदूषित हो जाएगा भोपाल
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक भोपाल में शुक्रवार को एक्यूआई शाम 7 बजे 210 पर जा पहुंचा। धूल बढ़ने से पीएम-10 का स्तर 443 एमजीसीएम हो गया, जो श्वांस के लिए घातक है और पीएम- 2.5 का स्तर 334 एमजीसीएम तक जा पहुंचा। कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा में भी बढ़कर 131 एमसीएम रही। यदि जल्द आसमान साफ नहीं हुआ तो दीवापली पर भोपाल में दिल्ली जैसे प्रदूषण के हालात बन जाएंगे। हवा की गुणवत्ता में स्थाई सुधार आने की संभावना कम है।
समाधान क्या है
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक धुंध का आवरण 29 अक्टूबर के बाद ही हटेगा। 27-28 को धुंध बढ़ सकती है। इसके बाद बारिश संभव है। इसके अलावा विशेषज्ञों के पास जनता को देने के लिए कुछ नहीं है। वो बस आने वाली आपदा के बारे में आगाह कर रहे हैं। सीएम कमलनाथ दीपावली मनाने छिंदवाड़ा चले गए हैं, उनके साथ ही सारी सरकार भी छुट्टी पर है। राजधानी लावारिस हो चुकी है। जनता को अपना ध्यान खुद रखना होगा। आयुर्वेद के अनुसार यदि आप गाय के देसी घी के दीपक जलाते हैं तो आपके घर के आसपास एक आवरण बन जाता है जो इस तरह की प्रदूषित हवाओं को आपके घर स दूर रखेगा।