जबलपुर। हाईकोर्ट में अजीब स्थिति बनी। एक महिला की याचिका पर हाई कोर्ट ने भारत सरकार को पार्टी बनाया और नेपाल में बंधक उसकी बेटी को भारत लाया गया। यहां बेटी ने मां की मौजूदगी में बयान दिया कि उसके पिता उस पर गंदी नजर रखते हैं इसलिए वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ नेपाल भाग गई थी।
हाई कोर्ट ने लड़की को बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष लड़की को पेश किया गया। कोर्ट ने उसके बयान को रिकॉर्ड पर लेकर भोपाल के बाल संप्रेक्षण गृह भेजे जाने की व्यवस्था दे दी। नाबालिग की वर्तमान आयु महज 17 वर्ष 8 माह है। जब तक वह वयस्क नहीं हो जाती, तब तक भोपाल के बाल संप्रेक्षण गृह में रहेगी। नाबालिग भोपाल में रहती थी, जहां से एक युवक के साथ अपना घर छोड़कर नेपाल चली गई थी।
मां ने कहा था कि बेटी का अपहरण हो गया है
राजधानी भोपाल के जहांगीराबाद इलाके में रहने वाली एक महिला ने हाई कोर्ट में बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि 7 जुलाई 2018 को उसकी नाबालिग पुत्री का अपहरण कर लिया गया है। लिहाजा, बंधक को मुक्त कराया जाए। महिला ने आरोप लगाया कि उसने एमपी नगर थाना, भोपाल में गुमशुदमी की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने गंभीरतापूर्वक पतासाजी नहीं की।
भोपाल पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया
महिला ने साफ किया कि उसे शक है कि जहांगीराबाद भोपाल निवासी युवराज मिश्रा व अशोका गार्डन भोपाल निवासी नवदीप कुमार ने मिलकर उसकी पुत्री का अपहरण किया है। वे उसे बहला-फुसलाकर कहीं ले गए हैं। ठोस जानकारी के बावजूद पुलिस आरोपितों की धरपकड़ की दिशा में लापरवाही बरत रही है।
युवराज मिश्रा ने कहा: मुझे होटल में छोड़कर दोनों गायब हो गए थे
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान भोपाल पुलिस की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि जांच के दौरान गुमशुदा किशोरी के नेपाल में होने की खबर मिली है। पुलिस द्वारा आरोपित युवराज मिश्रा के बयान पेश कर बताया गया कि नाबालिग किशोरी व नवदीप के साथ तीनों नेपाल गए और काठमांडू के एक होटल में ठहरे। अगले ही दिन नवदीप व नाबालिग किशोरी उसे होटल में छोड़कर कहीं चले गए। मजबूरन वह नेपाल स्थित भारतीय दूतावास पहुंचा। जहां से उसे पिता के साथ वापस भेजा गया।
विदेश मंत्रालय की कोशिशों के बाद लड़की भारत लाई गई
कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए लापता किशोरी को वापस लाने के निर्देश दिए। कोर्ट के निर्देश पर पक्षकार बनाए गए केन्द्र शासन के विदेश मंत्रालय के सहयोग से उसे वापस लाकर भोपाल की बाल एवं किशोर कल्याण समिति के निर्देश पर बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया था।
जिस बेटी को बचाने संघर्ष किया, उसे छोड़कर जाना पड़ा
बाल संप्रेक्षण गृह से किशोरी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसने बताया कि वह माता-पिता के घर वापस नहीं जाना चाहती। वहां वह सुरक्षित नहीं है। याचिकाकर्ता मां ने भी ऐसी परिस्थितियों में उसे अपने साथ रखने से मना कर दिया। जिस लड़की को बचाने के लिए मां इतना संघर्ष करती रही, उसे कोर्ट में छोड़कर चली गई। सभी तथ्यों व किशोरी की मंशा पर कोर्ट ने उसे बालिग होने तक बाल संप्रेक्षण गृह भेजने का निर्देश देकर याचिका का निराकरण कर दिया।