इंदौर। मध्यप्रदेश में इस बार खुलेआम शिक्षक ट्रांसफर घोटाला हुआ है। हालात यह हैं कि मंत्रियों की बिना धन वाली सिफारिश भी काम नहीं कर पाई। चौंकाने वाली जानकारी यह आ रही है कि जो लिस्ट सीएम सीएम ऑफिस से जारी हुई थी, वो ए-प्लस लिस्ट अब तक अटकी हुई है। बता दें कि ए-प्लस का आशय है सबसे पहले।
अब दोबारा नोटशीट चलेगी, नौकरी से मुश्किल तबादला हो गया
तबादलों की समयसीमा खत्म हो चुकी है। अब तबादला सीएम के अनुमोदन के बिना नहीं हो सकता है। यानी जिन शिक्षकों की सिफारिश मंत्री-विधायकों ने की थी, उनके लिए दोबारा नोटशीट चलाना होगी। तबादलों के पहले सरकार ने नीति बनाई थी कि इस बार सिफारिशी तबादले नहीं होंगे लेकिन फिर खुद शासन ने ही नेताओं की नोटशीट के आधार पर शिक्षकों की सूची विभाग को सौंप दी थी।
चलाई गई नोटशीट में उपकृत और सजा दोनों तरह की सिफारिश
नेताओं के द्वारा चलाई गई नोटशीट में जहां जरूरत के हिसाब से उपकृत करने वाले नाम हैं वहीं बतौर सजा हटाने की वजह भी लिखी गई है। 397 और 294 नामों वाली दो सूचियों में प्रदेश के 691 शिक्षकों और प्राचार्यों के तबादले अनुमोदित किए गए हैं। हालांकि इनमें से कुछ शिक्षक ऑनलाइन तबादले वाले भी शामिल हैं।