भोपाल। सामान्य प्रशासन विभाग की एक समीक्षा में पाया गया है कि सीएम कमलनाथ द्वारा जो निर्देश दिए गए थे उनका पालन मध्य प्रदेश शासन के ज्यादातर विभागों ने नहीं किया है। बता दें कि सीएम कमलनाथ ने संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के 90% वेतनमान, नियमित नियुक्तियों में आरक्षण एवं निष्कासित संविदा कर्मचारियों की बहाली सहित कई प्रमुख निर्देश दिए थे जो कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने वचन पत्र में घोषित किए थे।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संविदाकर्मियों की समस्याओं को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करके सरकार की मंशा और नियमों के तहत काम करने के लिए कहा था। इसके बावजूद विभागों ने न तो नियमों में बदलाव किए और न ही जो रिपोर्ट मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने मांगी थी, वो दी गई। इसके मद्देनजर विभाग के अपर मुख्य सचिव केके सिंह ने बुधवार को समीक्षा की। इसमें उन्होंने एक-एक विभाग से संविदा नीति के हिसाब से भर्ती नियम में संशोधन, 20 प्रतिशत पद संविदाकर्मियों के लिए आरक्षित करने, नियमितीकरण होने तक न्यूनतम वेतन का 90 प्रतिशत देने, सेवा से निकाले गए संविदाकर्मियों की बहाली को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में पूछा।
सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर विभागों ने न तो भर्ती नियमों में संशोधन किया है और न ही संविदाकर्मियों के लिए पद आरक्षित किए गए हैं। नियमित पद के वेतनमान का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतन देने का आदेश भी सिर्फ महिला एवं बाल विकास विभाग ने निकाला। यह आदेश भी जनवरी से नए अनुबंध पर लागू होगा। सेवा से निकाले गए संविदाकर्मियों को वापस लेने की प्रक्रिया स्वास्थ्य के अलावा कहीं शुरू नहीं की गई।
विभागों ने सामान्य प्रशासन को यह भी नहीं बताया कि उनके यहां ऐसे कोई कर्मचारी हैं या नहीं। समीक्षा करने के बाद अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री की मंशा के हिसाब से संविदाकर्मियों के मामले में कार्रवाई को अंजाम दिया जाए। बैठक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, आयुष, स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा, लोक सेवा प्रबंधन और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद थे।