जबलपुर। हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि नियमित कर्मचारी की मृत्यु के उपरांत दी गई अनुकंपा नियुक्ति अस्थाई, संविदा, आटउसोर्स, दैनिक वेतन भोगी या किसी अन्य प्रकार की नहीं हो सकती। वो नियमित ही होगी।
न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता डिंडौरी निवासी बेला बाई धुर्वे की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्घ पांडेय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पति सुरेश कुमार धुर्वे को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति नियमित वेतनमान के तहत दी जानी चाहिए लेकिन ऐसा न करते हुए कलेक्टर रेट पर वेतन निर्धारित किया गया।
4 अक्टूबर 2018 को याचिकाकर्ता के पति की शासकीय सेवा के दौरान मृत्यु हो गई। प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अनुकंपा नीति में शर्त दी गई है कि अनुकंपा नियुक्ति नियमित वेतनमान पर ही होनी चाहिए। इसके बावजूद ऐसा नहीं किया गया। इसी रवैये के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली गई। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद याचिकाकर्ता के हक में आदेश पारित किया। शासन को आदेशित किया कि कर्मचारी को नियमित वेतनमान दिया जाए एवं अंतर की रकम उसकी पत्नी को प्रदान की जाए।