भोपाल। मप्र सामान्य प्रशासन विभाग-भोपाल ने "भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों" को दिनांक 24/10/2019 को अपने आदेश से जुलाई 2019 से डीए एरियर सहित 12% से बढ़ाकर 17% स्वीकृत किया है, जो स्वागत योग्य हैं। यह सिद्ध करता है कि प्रदेश की माली हालत बेहतर हैं। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि बगैर मांगे "भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों" को केंद्रीय दर एवं तिथि से देय "डीए, एचआर एवं अन्य भत्ते व विसंगति रहित अभी तक के सभी वेतनमान" देने में कभी किसी सरकार ने कोताही नहीं बरती हैं।
वहीं प्रदेश कर्मचारियों को उक्तानुसार नियमित डीए व एचआर भुगतान के लिए आंकड़ों की बाजीगिरी के साथ खराब माली हालत का हवाला देकर टाल-मटोल करते हुए काटपीट कर विलंबकारी रास्ता "यही अधिकारी" सुझाते हुए कर्मचारियों को आर्थिक परेशानियों से दो चार होने के लिए बाध्य करते रहे हैं। एक ही राज्य में भेदभाव पूर्ण आदेशों से कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त होना स्वाभाविक हैं। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ प्रदेश सरकार से मांग करता है कि स्थाई रूप से उक्त संशोधित व्यवस्था लागू की जावे कि "एक ही आदेश से प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों व राज्य कर्मचारियों" को डीए भुगतान सुनिश्चित किया जावेगा।
नई व्यवस्था लागू होते ही कर्मचारियों के स्वत्वों के भुगतान में आसानी होगी व यह मिथक टूट भी जाएगा, कि प्रदेश की माली हालत खराब हैं। विडम्बना है कि सातवें वेतनमान के आधार पर एचआर की मांग लगभग चार वर्ष बाद भी अनिर्णय का शिकार है, जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को केंद्रीय दर पर सातवें वेतनमान के साथ ही एचआर पुनरीक्षित किया जा चुका है। राज्य कर्मचारियों के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ ही केंद्रीय दर एवं तिथि से डीए,एचआर लागू करने से असंतोष समाप्त होगा व फिजूल कार्रवाई से निजात मिलेगी, जो न्याय संगत होगा।