भोपाल। हनी ट्रैप मामले में स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने डीजीपी वीके सिंह पर आरोप लगाए हैं परंतु सीएम कमलनाथ ने डीजी पुरुषोत्तम को ही सवालों की जद में ले लिया। उनका पहला और बडा सवाल यह था कि जब हनी ट्रैप मामले का आतंकवाद से कनेक्शन ही नहीं है तो एटीएस यानी एंटी टेररिस्ट स्कवॉड इस मामले में दखल ही क्यों दे रहा है। मुख्यमंत्री ने रात 9 बजे मुख्य सचिव एसआर मोहंती, डीजीपी वीके सिंह और एटीएस चीफ संजीव शमी को सीएम हाउस तलब किया।
एटीएस ने किसकी अनुमति से अफसरों को सर्विलांस पर लिया था
घंटे भर तक चली बैठक में यह बात भी उठी कि एटीएस हनी ट्रैप का खुलासा करने के लिए तीन महीने से किसकी अनुमति लेकर सर्विलांस कर रही थी? आखिर यह सब क्या चल रहा है? अफसरों ने इस मसले पर सीएम को सफाई देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अफसरों से दो टूक कहा कि बेवजह की बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बैठक शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री ने एटीएस के गठन से संबंधित नोटिफिकेशन मंगाकर उसका भी अध्ययन किया था।
छवि खराब करोगे तो किसी को नहीं छोड़ूंगा
मुख्यमंत्री ने अफसरों को हिदायत दे दी है कि वे बयानबाजी बंद कर काम पर फोकस करें। साथ ही चेतावनी भी दी कि प्रदेश की छवि खराब करोगे तो किसी को नहीं छोड़ूंगा। सायबर सेल के डीजी पुरुषोत्तम शर्मा भी सीएम की फटकार के बाद से ही चुप हैं। अन्य अफसरों ने भी मीडिया से बात करने से परहेज दिखाया।
डीजी पुरुषोत्तम की दलील खारिज
बैठक में अफसरों ने यह भी तर्क दिया कि हनी ट्रैप से जुड़ी एक महिला आरोपी खुद को विदेशी नागरिक के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही थी। ऐसे में एटीएस का इन्वाॅल्वमेंट जरूरी था। हालांकि मुख्यमंत्री ने उनका यह तर्क खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हनी ट्रैप की शिकायत इंदौर के एक थाने में हुई थी तो उसे इंदौर पुलिस को ही देखना था। उस आधार पर प्रदेश के तमाम अफसरों को उसकी जांच के दायरे में लेने का क्या मतलब है?
व्यापमं के बाद हनी ट्रैप के कारण प्रदेश बदनाम हो रहा है
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले ही व्यापमं महाघोटाले की वजह से मध्यप्रदेश की बहुत बदनामी हो चुकी है। अब लोग हनी ट्रैप की चर्चा कर रहे हैं। हनी ट्रैप से प्रदेश की छवि को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई कैसे होगी?