दीपावली की रात आसमान में गुरु सूर्य और चंद्रमा 3 ग्रहों से एक खास प्रकार का प्रकाश उत्पन्न होगा। जो मनुष्यों के जीवन को भी प्रभावित करेगा। 12 साल बाद दीपावली पर चुतुर्दशी और अमावस्या का का मेल बन रहा है। ज्योतिष विद्वान इसे युग्म योग बता रहे हैं जिसमें पूजन से भौतिक सुख समृद्धि मिलती है।
तीन ग्रहों का बन रहा संयोग :
पंडित राकेश शास्त्री का कहना है कि इस बार दीपावली पर चतुर्दशी एवं अमावस्या दोनों तिथि मौजूद होने से युग्म योग का भाव बन रहा है। इस बार दीपावली पर 27 अक्टूबर रविवार को सुबह चतुर्दशी और संध्या में अमावस्या तिथि रहेगी। इस दिन गुरु वृश्चिक राशि में तथा सूर्य व चंद्र तुला राशि विद्यमान होंगे। बारह वर्ष पूर्व 08 नवंबर 2007 को भी ऐसा ही योग बना था। उस समय भी शनि तथा केतु की युति थी, लेकिन ये ग्रह सिंह राशि में स्थित थे। 23 अक्टूबर 1995 को भी गुरु वृश्चिक राशि में था और तब भी चतुर्दशी युक्त अमावस्या तिथि पर दीपोत्सव का पर्व मनाया गया था। पंडित झा का कहना है कि इस दिन स्वास्थ्य वृद्धि कारक योग भी बन रहा है। इस योग में माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना से आरोग्य सुख, भौतिक समृद्धि, मानसिक तथा आत्मिक बल की प्राप्ति होगी।
महालक्ष्मी मंत्र:
श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
पूजन सामग्री : कलश, कुबेर, महालक्ष्मी व श्री गणेश की प्रतिमा, दक्षिणवर्ती शंख, कमलगट्टा, गोमतीचक्र व छोटा नारियल, श्री लक्ष्मी पादुका,श्रीयंत्र व पुस्तक पूजन ।
महालक्ष्मी होंगी ऐसे प्रसन्न : दूभि, ईत्र, हल्दी,कुमकुम, अक्षत एवं कमलगट्टा से पूजन करें ।
चित्रा नक्षत्र में मां की उपासना
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री का कहना है कि दीपावली के दिन चित्रा नक्षत्र में माता लक्ष्मी की पूजा होगी। इस योग में माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन-संपदा, ऐश्वर्य और सामथ्र्य में वृद्धि होगी और इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा। दिवाली के दिन रविवार दिन होने से माता लक्ष्मी के साथ प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की भी असीम कृपा प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी पूजा में माता को सुगंधित इत्र, कमल पुष्प, कौड़ी, कमलगट्टा अर्पण करने से प्रसन्न होती होती हैं और मनचाहा वरदान देती है। जिस तरह स्वाति नक्षत्र में ओस की बूंद सीप पर गिरती है तो मोती बनती है, ठीक उसी प्रकार इस नक्षत्र में जातक की ओर से किया कार्य उसे सफलता की चमक प्रदान करता है।
दिवाली के शुभ मुहूर्त
वृश्चिक लग्न : प्रात: 7.21 बजे से 9.37 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11.11 बजे से दोपहर 11.56 बजे तक
कुंभ लग्न : दोपहर 1:44 बजे से 03:15 बजे तक व्यापारियों के लिए
गुली काल मुहूर्त:- मध्याह्न 02 .22 बजे से 03 .47 बजे तक
प्रदोषकाल मुहूर्त: संध्या 05.10 बजे से रात्रि 08:14 बजे तक
वृष लग्न : संध्या 06 .21 बजे से रात्रि 08:18 बजे तक गृहस्थ जनों के लिए
कर्क और सिंह लग्न : रात्रि 10.50 से 03.04 बजे तक साधकों के लिए
दिवाली की पूजा विधि
दिवाली पूजन में सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद गणपति को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें। इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें। मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें। मूर्ति में मां लक्ष्मी का आह्वान करें। हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं। अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर जल से स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं। इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं। अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें। इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें। 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा कर भोग लगाएं।