ग्वालियर। नगर निगम द्वारा केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग से गरीबों के लिए विभिन्न आवास योजनाओं के अंतर्गत आवास निर्मित किए गए हैं। इनका आवंटन करने की प्रक्रिया वर्षों से लंबित थी। ऐसे में वर्तमान जन प्रतिनिधियों के सहयोग से आवास विभाग से जुड़े अधिकारियों ने आवंटन की प्रक्रिया को पूरा किया। इसी दौरान गुरूवार को आवंटन मेले में बाल भवन में सभी हितग्राहियों को आमंत्रित किया गया था।
हंगामे के बाद आवंटन प्रक्रिया रोकी
यहां कुछ महिला हितग्राहियों ने किसी के बहकावे में आकर अधिकारियों व पार्षदों के साथ अभद्रता कर दी। महिलाओं ने गाली-गलौज करते हुए आवंटन प्रक्रिया में शामिल पार्षद धर्मेन्द्र राणा और कृष्णराव दीक्षित (Councilors Dharmendra Rana and Krishnarao Dixit) की तरफ चप्पल उछाल दी। इसके बाद प्रक्रिया को रोक दिया गया। इस समय तक राजीव आवास योजना के योजना क्रमांक शर्मा फार्म के दोनों भाग तथा महलगांव पहाड़ी के आवास मिलाकर उन दो सैकड़ा से अधिक आवासों का आवंटन किया गया। हंगामे के बाद आवंटन की प्रक्रिया रोक दी गई और निगमायुक्त से चर्चा के बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी।
महिलाएं पहले आओ पहले पाओ प्रक्रिया चाहतीं हैं
गुरूवार दोपहर में बालभवन में राजीव आवास योजना के वर्षों से लंबित आवास आवेदनों के निराकरण के लिए हितग्राहियों को बुलाया गया था। यहां हितग्राहियों की संख्या अधिक होने की वजह से उनके आवेदनों का निराकरण लॉटरी के माध्यम से किया जा रहा था। इस दौरान ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के रंगियाना मौहल्ले की कुछ महिलाओं ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्होंने सबसे पहले आवेदन किया था। ऐसे में उन्हें आवास पहले आवंटित किए जाएं।
हंगामे के पीछे भ्रष्टाचार और दलाल
आवंटन प्रक्रिया में शामिल नोडल अधिकारी आवास पवन सिंघल, नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित, पार्षद धर्मेन्द्र राणा महिलाओं को समझाने की कोशिश करने लगे तभी महिलाओं ने गाली गलौज शुरू कर दी और उनकी ओर चप्पलें उछाल दीं। बताया जाता है कि नगर निगम में सक्रिय दलाल जो आवास दिलाने का झांसा देकर हितग्राहियों से हजारों रुपए ऐंठते रहते हैं। उन्होंने इन महिलाओं से कई साल पहले पैसे ले लिए थे। मगर अब न उनके पैसे लौटा रहे थे और आवंटन प्रक्रिया इस बार पूरी तरह से पारदर्शी होने की बजह से उनकी कोई अनुचित मदद भी नहीं कर पा रहे थे। इस तरह के दलालों में नगर निगम के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं। जिनके बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को समय-समय पर शिकायतें भी हितग्राहियों द्वारा की जाती हैं।