इंदौर। यशवंत सागर को भरने वाली गंभीर नदी (Gambhir River)में लाल पानी आने से हड़कंप मच गया। कलारिया गांव के स्टॉपडैम पर सबसे पहले कुछ ग्रामीणों ने नदी में लाल पानी बहते देखा तो उन्होंने नगर निगम के जलकार्य प्रभारी को सूचित किया। बाद में निगम के अभियंता भी मौके पर गए लेकिन उन्हें पता नहीं चला कि पानी आ कहां से रहा है? उन्होंने आशंका जताई कि किसी फैक्टरी से नदी में रसायनयुक्त दूषित पानी छोड़ा गया होगा। अफसरों ने आनन-फानन में शहर की 2.22 लाख आबादी की जलापूर्ति रोक दी।
उधर, नगर निगम ने कलारिया और आगे जांच के लिए टीम भेजने के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जानकारी दी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि पीथमपुर और कलारिया के बीच गंभीर नदी में कुछ नाले मिलते हैं। इनमें से किसी एक नाले में इंडस्ट्री का गंदा पानी टैंकर से छोडऩे पर पानी लाल हो गया है। बाद में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की मदद से पानी के नमूने लिए गए। उनकी जांच में रात में पता चला कि लाल पानी मिलने के बावजूद नदी का पानी पीने योग्य है। उससे किसी तरह का खतरा नहीं है। प्रदूषण बोर्ड ने नर्मदा परियोजना के अधिकारियों को बताया कि लाल पानी किसी फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री का हो सकता है।
मंगलवार सुबह नौ बजे कलारिया के भूपेंद्र चौहान, अंकित कोतवाल और रामा पटेल ने नदी में बहते लाल पानी को देखा और जलकार्य समिति प्रभारी को सूचना दी। प्रभारी की सूचना पर नर्मदा परियोजना के अधीक्षण यंत्री संजीव श्रीवास्तव और यशवंत सागर प्रभारी रोहित राय मौके पर पहुंचे लेकिन किसी को यह पता नहीं चला कि लाल पानी का स्रोत कहां है? डर यह था कि यशवंत सागर से रोज शहर की चार टंकियां भरती हैं और लाल पानी से तालाब का पानी दूषित होने का खतरा पैदा हो गया था। प्रभारी ने नदी का पानी सूंघकर देखा कि उसमें किसी तरह की बदबू या रसायन मिला होने जैसा आभास उन्हें नहीं हुआ।