जबलपुर। सिद्धबाबा की पहाडिय़ों पर मौजूद अतिक्रमणों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई में खलल पैदा करने के मामले में मंत्री लखन घनघोरिया ने हाईकोर्ट से माफी माँगते हुए कहा कि उन्होंने बीते 1 अक्टूबर को दो जनसभाएँ करके लोगों को समझाया था। उनके दावे को याचिकाकर्ताओं के पैरोकारों ने झूठा बताकर कहा कि ऐसी कोई सभा हुई ही नहीं।
मंत्री का दावा पूरी तरह झूठ का पुलिन्दा है। इस पर मंत्री ने अंडरटेकिंग दी है कि वो दोनों सभाओं का वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड करेंगे। साथ ही आगे की सभाओं में कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित कराएंगे। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मंत्री के खिलाफ फिलहाल अवमानना की कार्रवाई न करने का निर्देश देकर इस बारे में दायर अर्जी को फिलहाल लंबित रखा है, ताकि भविष्य में ऐसी कोई पुनरावृत्ति हुई, तो उचित कार्रवाई की जा सके।करीब सवा दो घंटे तक उभय पक्षों की दलीलें सुनने के बाद युगलपीठ ने मामले की सुनवाई 4 नवम्बर तक के लिए मुल्तवी कर दी है।
यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि मदन महल की पहाडिय़ों पर काबिज अतिक्रमणों के खिलाफ वर्ष 2012 में एक जनहित याचिका किशोरी लाल भलावी की ओर से और शहर की सभी पहाडिय़ों पर फैले अतिक्रमणों के खिलाफ एक जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से भी दायर की गई थी। पहाडिय़ों के अतिक्रमणों से संबंधित कुल 9 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई हो रही है। बीते मंगलवार को बिलहरी में रहने वाले आदित्य नारायण शुक्ला ने एक अर्जी दायर करके कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया पर सनसनीखेज आरोप लगा दिए। अर्जी पर आरोप है कि सिद्धबाबा की पहाड़ी पर आयोजित एक सभा में कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया ने न सिर्फ अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई का विरोध किया, बल्कि लोगों को उकसाने का भी काम किया। मंत्री के रवैये को कठघरे मेंरखते हुए, उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई चलाए जाने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की गई थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान मंत्री केरवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए युगलपीठ ने सरकार से पूछा था कि मंत्री के इस बयान पर वो अपना रुख साफ करे। 26 सितंबर को हुई सुनवाई के बादमंत्री के जवाब को नाकाफी पाते हुए, युगलपीठ में उन्हें और राज्य सरकार को फिर से जवाब पेश करने कहा था।