भोपाल। झाबुआ के चुनाव में मध्यप्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी है। इस चुनाव में जहां एक और कमलनाथ की पकड़ को साबित किया है तो दूसरी और दिग्विजय सिंह की जमीनी राजनीति एक बार फिर प्रमाणित हो गई। यह चुनाव केवल भारतीय जनता पार्टी नहीं आ रही बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हार गए। वह प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी हार गए।
कांतिलाल भूरिया मंत्री बनेंगे या प्रदेश अध्यक्ष
कांतिलाल भूरिया के चुनाव जीते ही यह दावे किए जाने लगे कि वह या तो डिप्टी सीएम बनेंगे या फिर कैबिनेट में कोई महत्वपूर्ण विभाग दिया जाएगा। परंतु राजनीति के पंडित कमलनाथ को पढ़ रहे हैं दावा करते हैं कांतिलाल भूरिया मंत्री नहीं प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे। कांतिलाल भूरिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से कमलनाथ के एक साथ दो टारगेट पूरे होंगे। एक तरफ कैबिनेट में कोई फेरबदल नहीं करना पड़ेगा। दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की राजनीति से दूर रखा जा सकेगा।
सिंधिया को ग्वालियर संभाग में रखने की रणनीति
झाबुआ चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव प्रचार नहीं किया फिर भी कांग्रेस पार्टी चुनाव आसानी से जीत गई। इस नतीजे के बाद वह मिथक टूट गया जिसके चलते दावा किया जाता था कि कांग्रेस में केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया ही मास लीडर हैं। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर संभाग की सीमित सीटों के दायरे में समेटना आसान हो जाएगा। याद दिला दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद अपने गढ़ से लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। झाबुआ के नतीजों के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की सिर्फ एक ही पहचान रहे गई है और वह यह कि ज्योतिरादित्य सिंधिया माधवराव सिंधिया के पुत्र हैं और राहुल गांधी के दोस्त।