ग्वालियर। मप्र मानव अधिकार आयोग ने बीते दिनों शांति निकेतन आश्रम में रह रहीं बच्चियों को जो भोजन, रहवास व अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ा, उसे लेकर संभागीय कमिश्नर से जवाब तलब किया है।
संभागीय कमिश्नर को एक महीने के अंदर आयोग को प्रतिवेदन सौंपकर बताना होगा कि आखिर जिला प्रशासन और महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के रहते हुए इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। आखिर कैसे आश्रम में रह रहीं 19 बालिकाओं का शाम का नाश्ता और फल मिलना बंद हुआ। कैसे खाने के नाम पर उनको सिर्फ दाल-रोटी और खिचड़ी ही मिलती रही, जबकि प्रावधान इससे कहीं अधिक पाैष्टिक भोजन प्रदान करने का है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में कलेक्टर ने शांति निकेतन आश्रम की अनियमितताओं को लेकर एक संयुक्त कलेक्टर से जांच कराई थी, जिसमें उन्होंने आश्रम संचालक द्वारा महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों पर परेशान करने के आरोप खारिज कर दिए थे लेकिन आश्रम संचालक द्वारा लापरवाही बरतना पाया था। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही शांति निकेतन आश्रम से सभी बालिकाओं को मुरार की एक एनजीओ के भवन में शिफ्ट किया गया।
मानवाधिकार आयोग ने केआरएच कांड का संज्ञान लिया
केआरएच में लगातार बिगड़ते हालातों को लेकर कलेक्टर और संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं से भी 1 माह में प्रतिवेदन मांगा है। दरअसल केआरएच में बीते दिनों एक प्रसूता की डिलीवरी करने से डॉक्टरों ने इनकार कर दिया था। जब प्रसूता टॉयलेट गई तो वहीं पर उसकी डिलीवरी हो गई और इसके कारण उसके नवजात बच्चे की मौत वहीं पर हो गई। इस मामले में विवाद हुआ तो डॉक्टरों द्वारा प्रसूता व उसके परिवार से अभद्रता भी की गई। इसे लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है।
शराबी शिक्षक मामले में प्रतिवेदन मांगा
वहीं एक अन्य मामले में शासकीय माध्यमिक स्कूल मकौड़ा के एक शिक्षक शराब के नशे में पहुंच गए और वहीं पर सो गए। इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। आयोग ने इस मामले में कलेक्टर से जांच कराकर कार्रवाई का प्रतिवेदन एक माह में देने को कहा है।