नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों के पूजन के बाद नवमी तिथि के दिन मां दुर्गा को विदाई दी जाती है. इस दिन को महानवमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है. महानवमी के दिन छोटी बच्चियों को मां का रूप मानते हुए उनकी पूजा की जाती है. साथ ही उनका आशिर्वाद लिया जाता है. यह दिन काफी शुभ माना गया है. इस दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों से सिर पर मां दुर्गा की कृपा बरसती है और सभी परेशानियां दूर होती हैं.
महानवमी, दुर्गानवमी का महत्व / Importance of Mahanavami, Durganavami
शारदीय नवरात्रि में दुर्गा माता के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस दिन घर में छोटी कन्याओं के पूजन का विधान है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विधिवत कन्या पूजन से मां दुर्गा की कृपा बरसती है. महानवमी के मौके पर कन्याओं के पूजन के साथ-साथ उन्हें उपहार और दक्षिणा भी दी जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने वाले लोगों से मां दुर्गा अत्यंत ही प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा सदैव भक्तों पर बरसाती हैं.
महानवमी, दुर्गानवमी तिथि और शुभ मुहूर्त | Mahanavami, Durganavami TITHI OR SHUBH MUHURT
इस साल नवरात्रि में महानवमी 6 अक्टूबर की पड़ रही है. 6 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 56 मिनट से नवमी तिथि शुरू होकर 7 अक्टूबर सुबह 12 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी.
देश के कई हिस्सों में लोग अष्टमी की पूजा करते हैं यानी मां दुर्गा को अष्टमी पर विदाई देते हैं. वहीं काफी लोगों का मानना है कि मां की विदाई नवमी पर होनी चाहिए. नवरात्रि के नौ दिन लोग कठिन नियमों का पालन करते हुए अन्न समेत कई चीजों से दूर रहते हैं. साथ ही काफी बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. व्रत करने वाला व्यक्ति शाम के समय सिर्फ फलाहार की कर सकता है.