भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा माफिया के आगे सरकार पिछले 20 साल से घुटने टेक की आ रही है। स्कूल बसों के मामले में कई दफा गाइडलाइन जारी हुई लेकिन उनका पालन कभी नहीं कराया जा सका। सरकार ने एक बार फिर स्कूल और कॉलेज की बसों के लिए गाइडलाइन जारी की है। निश्चित रूप से यह कमलनाथ सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा कि वह इस गाइडलाइन का पालन भी करवा पाए। बता दें कि मध्य प्रदेश में आधे से ज्यादा स्कूल और कॉलेज नेताओं के हैं।
गाइडलाइन तोड़ने वाले जेल जाएंगे
स्कूल व कॉलेजों के लिए अब 15 साल पुराने वाहन नहीं चल सकेंगे। विद्यार्थियों को लाने-ले जाने के लिए शैक्षणिक संस्थाओं में लगाए जाने वाले वाहनों को आसानी से पहचाना जा सकेगा। अब स्कूल-कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थाओं में चलने वाले वाहनों में व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइस, कैमरे तथा पैनिक बटन लगाने होंगे। अग्निशमन यंत्र और फर्स्ट एड किट भी अनिवार्य रखना होंगे। अगर कोई बस संचालक इन नियमों का पालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ जुर्माने और जेल भेजने की कार्रवाई की जा सकेगी। इन नियमों पर जल्द अमल होने वाला है क्योंकि राज्य सरकार ने एक महीने पहले ही नियम जारी कर दिए थे।
नए नियम में अब स्कूल-कॉलेज से संबद्ध सभी वाहनों का रंग पीला होगा। अगर बस के अलावा वैन और ऑटो रिक्शा भी अटैच होंगे तो उन्हें भी पीले रंग में रंगना होगा। इसके आगे-पीछे दोनों तरफ शैक्षणिक वाहन लिखना होगा। साथ ही सभी वाहनों में विद्यार्थियों के बस्ते, टिफिन और पानी की बोतल रखने का इंतजाम करना होगा। ड्राइवर की आयु 21 से कम और 60 साल से ज्यादा नहीं होगी।
जिन वाहनों में केवल छात्राओं का परिवहन किया जाएगा, उसमें महिला कंडक्टर की अनिवार्य रूप से नियुक्ति करना होगी। ड्राइवरों व वाहन चालकों को पुलिस वेरिफिकेशन कराना होगा। शैक्षणिक वाहनों में छोटे बच्चों को सही तरीके से चढ़ाने और उतारने की जिम्मेदारी कंडक्टरों की रहेगी। ड्राइवर और कंडक्टर 10 साल से कम आयु के बच्चों को अभिभावक या उनके द्वारा नियुक्त व्यक्ति का अनुपस्थिति में बस या वाहन से नहीं उतारेंगे। इनके अलावा शैक्षणिक संस्थाओं में अटैच वाहनों को चलाने वाले ड्राइवरों के लिए कुछ शर्तें जोड़ी गई हैं, उनका संस्थाओं को पालन करना होगा।
जिलास्तरीय समिति बनेगी
नए नियम लागू होते ही निजी स्कूल, कॉलेजों के लिए चलने वाले कंडम वाहनों पर अंकुश लग जाएगा। नए नियम विद्यार्थियों के सुरक्षित परिवहन, शैक्षणिक वाहनों पर नियंत्रण एवं विनियमन योजना 2019 के नाम से तैयार किए गए हैं। इसके बाद अंतर विभागीय जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। इसमें कलेक्टर, आरटीओ, ट्रैफिक थाना प्रभारी और जिला शिक्षा अधिकारी को शामिल किया जाएगा। इस समिति की हर छह महीने में एक बैठक होगी और यही समिति स्कूल-कॉलेज में अटैच बसों की चेकिंग अभियान के लिए समय तय करेगी। इस समिति को बसों के फिटनेस प्रमाण-पत्र निरस्त करने के अधिकार भी होंगे। इतना ही नहीं अब बसों के संचालन में पालक भी सीधे तौर पर हस्तक्षेप कर पाएंगे। इसके लिए प्रतिमाह पालक शिक्षक संघ और बस चालक और परिचालक के बीच एक बैठक आयोजित की जाएगी।
नीली शर्ट, काली पेंट में नजर आएंगे ड्राइवर
ड्राइवर-कंडक्टर को बस चलाते समय नीली शर्ट या कोट और काली पेंट पहनना होगी। इनकी वर्दी पर नेम प्लेट होना जरूरी है। वे दस साल से कम आयु वाले बच्चे को अभिभावक के पास ही छोड़ें और अभिभावक नहीं मिलने पर बच्चे को स्कूल वापस लेकर जाएं। इतना ही नहीं इनकी निगरानी करने के लिए प्रत्येक स्कूल, कॉलेज को एक ट्रांसपोर्ट मैनेजर नियुक्त करना होगा। बस में यात्रा करने वाले बच्चे की समस्त जानकारी ड्राइवर, कंडक्टर के पास मौजूद रहेगी।