जबलपुर। मध्यप्रदेश में नगर पालिका चुनाव की नई पॉलिसी (नगर पालिका संशोधन अध्यादेश 2019) के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है उसमें एक तकनीकी संशोधन के लिए कहा गया है, इसके बाद सुनवाई शुरू होगी। बता दें कि कमलनाथ सरकार ने मध्यप्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रिया में संशोधन कर दिया है। पहले महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाता था परंतु अब संशोधन के बाद पार्षदों द्वारा शहर का महापौर या नगरपालिका अध्यक्ष चुना जाएगा।
फिर तो कोई निर्दलीय कभी मेयर ही नहीं बन पाएगा
नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश 2019 को हाईकोर्ट मे चुनौती दी गई है। जिसमें में कहा गया है कि सरकार का ये फैसला निर्दलीय प्रत्याशियों के अधिकार को छीनने वाला है। यदि पार्षद ही मेयर चुनेंगे तो ऐसे में कोई निर्दलीय प्रत्याशी मेयर बन ही नहीं पाएगा। हालांकि कोर्ट ने इस याचिका में एक तकनीकी संशोधन के लिए कहा है। अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
कमलनाथ सरकार ने दुर्भावना से प्रेरित होकर संशोधन किया है
मध्य प्रदेश में महापौर पद के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली के बजाय पार्षदों द्वारा करवाए जाने के सरकारी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि जब राजनैतिक दलों के पार्षद ही महापौर का चुनाव करेंगे तो ऐसे में कोई निर्दलीय प्रत्याशी महापौर नहीं बन पाएगा। वहीं याचिका में राज्य सरकार पर आरोप लगाया गया है कि उसके द्वारा दुर्भावना से प्रेरित होकर ये संशोधन किया गया है, जिससे जनहित प्रभावित हो रहे हैं।
चुनाव संस्था नहीं, व्यक्ति लड़ता है, इसलिए वो ही याचिका लगाए
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि इस तरह की याचिका संस्था की बजाए कोई व्यक्ति दायर कर सकता है क्योंकि चुनाव संस्था नहीं व्यक्ति की ओर से लड़ा जाता है। ऐसे में जबलपुर हाईकोर्ट ने याचिका में तकनीकि संशोधन के निर्देश दिए हैं और इसके लिए याचिकाकर्ता को एक हफ्ते का वक्त दिया है।