भोपाल। मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना के अंतर्गत शौचालय के साथ सेल्फी वाली शर्त पर कमलनाथ सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। सलूजा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाया कि यह आदेश 2013 में उनकी सरकार द्वारा दिया जारी किया गया था। जो आप प्रभावशाली नहीं है। बता दें कि 10 अक्टूबर को हुए सम्मेलन में इस तरह की शर्त रखी गई थी और अधिकारियों द्वारा शौचालय के साथ सेल्फी जमा कराई गई।
शिवराज सिंह का बयान हास्यास्पद
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने शिवराज सिंह चौहान के उस बयान को हास्यादपद बताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना के अंतर्गत उन्हें दी जाने वाली राशि नहीं दी जा रही है और आवेदन के समय सरकार टाॅयलेट के सामने सेल्फी लेने की अजीबो-गरीब शर्तें रख रही हैं।
2013 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह व्यवस्था लागू की गई थी
सलूजा ने स्मरण दिलाते हुए कहा कि शिवराज जी आपको यह याद होना चाहिए कि आपकी ही सरकार में वर्ष 2013 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह व्यवस्था लागू की गई थी, उस समय फोटो लिए जाते थे। इसलिए आपको यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि वर्तमान सरकार ने कैसी अजीबो-गरीब शर्त रखी है। शिवराज जी आपको झूठ नहीं परोसना चाहिए, चूंकि यह आदेश आपके समय का है, इसलिए इस सच्चाई को आप स्वीकारें, कांग्रेस सरकार पर झूठा दोषारोपण ना करे।
हमारी सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया
सलूजा ने कहा कि वर्तमान सरकार ने ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया है। बल्कि सरकार द्वारा पात्रता वाले हर हितग्राही को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश की बेटियों का इतना ख्याल रखती है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें कन्या विवाह-निकाह योजना में दी जाने वाली राशि 28,000 हजार से बढ़ा कर 51,000 कर दी है। यहीं नहीं वर्तमान सरकार ने दूल्हे को शौचालय के सामने सेल्फी लेने की कोई शर्त लागू नहीं रखी है। इसके बगैर भी सभी हितग्राहियों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है।
सलूजा ने कहा कि शिवराज जी शर्म तो आपको आना चाहिए जब से आपकी सरकार गई है, तब से आप सिर्फ झूठे आरोप लगाते रहते हैं। आपकी बातों से ही सत्ता से बाहर होने का दर्द झलकता है। आपको पहले अध्ययन करना चाहिये फिर आरोप लगाना चाहिये।