भोपाल। मप्र सरकार द्वारा महापौर-अध्यक्ष का चुनाव जनता के बजाय पार्षदों से कराने के फैसले के विरोध में शुक्रवार को ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। काउंसिल ने राज्यपाल से मांग की है कि सरकार के निर्णय को राज्यपाल मंजूरी न दें। काउंसिल का कहना है कि पार्षदों के वोट से चुना जाने वाला महापौर स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर पाएगा।
अपने ज्ञापन में काउंसिल ने कहा कि राज्य सरकार ने महापौर का अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का निर्णय लिया है। इससे पार्षदों महापौर पर बहुत अधिक दबाव बनाएंगे और अविश्वास की तलवार महापौर पर सदैव लटकती रहेगी। साथ ही शहर विकास के लिए महापौर द्वारा बिना किसी दबाव के कार्य करना मुश्किल हो जाएगा। प्रतिनिधि मंडल में ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स के संगठन मंत्री उमाशंकर गुप्ता, मप्र मेयर काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष महापौर आलोक शर्मा देवास महापौर सुभाष शर्मा, विधायक व पूर्व महापौर कृष्णा गौर शामिल थे।
काउंसिल के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि वर्तमान में कांग्रेस के नेता जिस पद्घति से निकाय चुनाव कराना चाहते हैं, उससे समाज आौर निकाय में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इससे अराजकता का माहौल व्याप्त होगा। पदाधिकारियों ने राज्यपाल से गुहार लगाई है कि मप्र में महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष के अप्रत्यक्ष निवार्चन की कार्यवाही का अनुमोदन न किया जाए। गौरतलब है कि ज्यादा से ज्यादा नगरीय निकायों पर कांग्रेस की जीत के इरादे से राज्य सरकार ने 22 साल पुरानी पद्घति से चुनाव फैसला किया है। कैबिनेट के निर्णय के बाद मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव अभी राज्यपाल के पास अटका है। एक दिन पहले ही नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक सिंह ने राज्यपाल से प्रस्ताव को मंजूरी देने की गुजारिश की है।