भोपाल। राज्यपाल लालजी टंडन ने उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है जिसके तहत कमलनाथ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव में महापौर/अध्यक्ष पद हेतु सीधे चुनाव को बंद कर दिया है। अब मध्यप्रदेश में महापौर या नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता नहीं बल्कि पार्षद करेंगे। जनता तो केवल पार्षद का चुनाव करेगी।
कमलनाथ ने सोमवार को ही संकेत दे दिए थे
इससे पहले सीएम कमलनाथ सोमवार शाम को राज्यपाल से मिलने गए थे और माना जा रहा था कि सबकुछ उसी अनुसार हो गया है जैसा कि कमलनाथ चाहते थे। मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने बताया था कि विवाद की कोई स्थिति नहीं हैं, उन्होंने राज्यहित में निर्णय का भरोसा जताया है। उन्होंने तन्खा के ट्वीट को उनकी निजी राय बताया। उल्लेखनीय है कि तन्खा ने अपने ट्वीट के जरिए राजधर्म की नसीहत और अध्यादेश न रोकने की सलाह दी थी। इसके बाद राज्यपाल के नाखुश होने की खबर सामने आई, बताया जाता है कि राजभवन ने इसे दबाव की राजनीति माना। जबकि पूर्व में वह सरकार के साथ हुई चर्चा में आश्वस्त थे।
भाजपाई उत्साहित थे
राज्यपाल द्वारा अध्यादेश रोक लेने से भाजपा के नेता काफी उत्साहित थे। उन्हे लगता था कि कम से कम इस चुनाव में तो यह अध्यादेश लटक ही जाएगा। हरियाणा व त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने इस मुद्दे मीडिया के जरिया लालजी टंडन को सलाह दी थी कि राज्यपाल के पास तीन विकल्प हैं। कोई बिल आता है तो उस पर कारण गिनाते हुए स्पष्टीकरण मांग सकते हैं। राज्यपाल संतुष्ट नहीं तो वह अध्यादेश को अनिश्चित काल के लिए पेंडिंग रख सकते हैं अथवा सीधे राष्ट्रपति को भेजकर मार्गदर्शन मांग सकते हैं। पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने महापौर का चुनाव सीधे जनता से होने को ज्यादा प्रजातांत्रिक बताया था।