भोपाल। यह एक ऐसे इंजीनियरिंग छात्र की कहानी है जो अपने टैलेंट का उपयोग अपराध के लिए कर रहा था। वह एक विशेष तरह के मोबाइल एप का उपयोग करके सरकारी अधिकारियों को फोन लगाता था और घर बैठे जो चाहे वह काम करवा लेता था। पिछले 1 साल से वह सफलतापूर्वक अपराध कर रहा था। पकड़ा तो तब गया जब उसने धार जिले के एक थाना प्रभारी को फोन लगाया और थाना प्रभारी को उसकी आवाज पर संदेह हो गया।
थाना प्रभारी को एसपी बन कर फोन लगाया
आरोपित का नाम राजपाल सिंह है। उसने धार जिले के सागौर थाना प्रभारी प्रतीक शर्मा के निजी नंबर पर 30 सितंबर को धार एसपी के सरकारी नंबर से कॉल किया। कॉलर ने कहा कि मैं एसपी बोल रहा हूं। सागौर के राजपाल का काम फोन पर ही हो जाना चाहिए। एसपी की आवाज को लेकर थाना प्रभारी को संदेह हुआ। इसके बाद एक अक्टूबर को खुद राजपाल ने अपने नंबर से काम के लिए संपर्क किया। उसने कहा कि चाचा दिलीपसिंह पंवार की शस्त्र खरीदी से संबंधित फाइल आपके यहां है, उसे दिखवा लेना।
ऐसे खुला रहस्य
संदेह होने पर टीआई ने आवेदन लंबित रखा। दूसरी बार राजपाल ने एसपी बनकर फोन किया तो थाना प्रभारी ने आवाज रिकॉर्ड कर ली। इसके बाद जिस नंबर से कॉल किया गया था, उसे ट्रेस किया तो वह राजपाल का निकला। टीआई ने एसपी से बात की तो उन्होंने किसी प्रकार के कॉल करने से इनकार कर दिया। फर्जी कॉल की पुष्टि होते ही पीथमपुर सेक्टर वन के प्रभारी चंद्रभान सिंह व टीम ने आरोपित को उसके गांव से हिरासत में ले लिया। राजपाल ने पुलिस को बताया कि मोबाइल में फेक कॉल ऐप इंस्टॉल कर विधायक-अधिकारी बनकर कॉल करता था।
ये रहा कच्चा चिट्ठा
-विधायक मेंदोला बनकर पीथमपुर सीएमओ व एमपीईबी के इंजीनियर को कॉल किया।
- पीडब्ल्यूडी इंजीनियर बनकर ग्राम उज्जैनी स्थित वैकमेट कंपनी के सिविल इंजीनियर को काम करने के लिए फोन किया।
-दिग्ठान के युवा मोर्चा मंडल का अध्यक्ष बनकर उनके मोबाइल नंबर को दुरुपयोग किया। आरआई को फोन लगाया।
विधायक मेंदोला का नाम क्यों लिया
आरोपित ने बताया कि विधायक रमेश मेंदोला का नाम इसलिए चुना, क्योंकि वे क्षेत्र के विधायक नहीं थे। बाहरी और प्रभावशाली थे। साथ ही स्थानीय स्तर पर कोई उनकी आवाज को जल्दी नहीं पहचान पाता।
कब से चल रहा था यह गोरखधंधा
आरोपित राजनीतिक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने का इच्छुक था। एक साल पहले उसके पिता की कोई फाइल अटक गई थी, तब इस ऐप का उपयोग कर काम निकलवा लिया। इसके बाद से ही इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया। खुद के साथ दूसरों के काम निकलवाने के लिए उसने एप के जरिए विधायक, एसपी और अधिकारी बनकर कॉल करना शुरू किया था।
विधायक बनकर की चैटिंग भी करता था
आरोपित विधायक बनकर अधिकारियों से चैटिंग भी करता था। धार के पूर्व एसपी वीरेंद्र सिंह से भी आरोपित ने विधायक रमेश मेंदोला बनकर चैटिंग की थी। नंबर विधायक का होने से अधिकारियों को संदेह नहीं होता था।