भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में रिक्त असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। सोमवार को ऑनलाइन चॉइस फिलिंग की प्रक्रिया भी पूरी हो गई लेकिन आरक्षित वर्ग की 91 महिलाएं जो पहले चयन सूची में थी चॉइस फिलिंग नहीं कर पाई। हाईकोर्ट ने इन सभी 91 महिलाओं को होल्ड पर रखा हुआ है। विचारणीय यह है कि यदि हाई कोर्ट ने इस मामले में आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवारों के खिलाफ फैसला दिया तो एमपीपीएससी द्वारा जारी की गई आरक्षित वर्ग की असिस्टेंट प्रोफेसर की चयन सूची एक बार फिर बदलनी पड़ेगी। यदि ऐसा हुआ तो फिर अनारक्षित वर्ग की सूची भी बदलेगी।
आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवारों का चयन मैरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग की सीटों पर हुआ है, क्योंकि उनका कटऑफ मार्क्स इसमें शामिल उम्मीदवारों से अधिक था। अब यह हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार रहीं हैं। फैसला पक्ष में नहीं आता है तो एमपीपीएससी को मैरिट के आधार पर आरक्षित वर्ग की सूची एक बार फिर से बनानी पड़ सकती है, क्योंकि इन महिलाओं के अंक आरक्षित वर्ग में चयनित उम्मीदवारों से भी अधिक हैं। इसलिए वे आरक्षित वर्ग की सूची में चयन के लिए दावा करेंगी।
हाईकोर्ट के निर्देश पर जारी की गई थी लिस्ट
आरक्षण विवाद का निराकरण कर मप्र हाईकोर्ट ने दोबारा लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए थे। इस भर्ती को लेकर एक अन्य प्रकरण में अनारक्षित वर्ग की सीट पर चयनित हुई आरक्षित वर्ग की उम्मीदवारों के प्रकरण को छोड़कर अन्य की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासन को स्वतंत्र रखा गया है।
मामले को ऐसे समझें
पीएससी द्वारा जारी कटऑफ अंकों के अनुसार कॉमर्स में अनारक्षित महिला उम्मीदवारों का कटऑफ 308 मार्क्स रहा, जबकि ओबीसी वर्ग की महिला उम्मीदवारों का कटऑफ 272 रहा है, लेकिन इसी वर्ग की एसी महिला उम्मीदवार जिन्होंने 308 से अधिक अंक प्राप्त किए उन्हें मैरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग की चयनसूची में शामिल कर लिया गया।