नई दिल्ली। हर साल दिवाली के दिन भारतीय शेयर बाजार एक खास कारोबारी सत्र का आयोजन करता है, जिसे 'मुहूर्त ट्रेडिंग' कहा जाता है। यह एक घंटे का सत्र होता है, जिसे हिंदू लेखा वर्ष की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं और इसे संवत कहा जाता है। मुहूर्त ट्रेडिंग से पहले शेयर बाजार में ब्रोकर खातों की पूजा करते हैं। विशेषज्ञों के 8 कंपनियों के नाम सुझाए हैं। अनुमान है कि आने वाले 1 साल में इन कंपनियों के शेयर मुनाफा देते रहेंगे।
मुहूर्त ट्रेडिंग 2019 का समय एवं शेड्यूल
विशेष कारोबारी सत्र दिन के सबसे शुभ मुहूर्त में रखा जाता है। इस साल यह रविवार को शाम 6.15 बजे से 7.15 बजे तक चलेगा।
ब्लॉक डील सेशन - शाम 5.45 बजे से 6 बजे तक
प्री ओपन - शाम 6 बजे से 6.08 बजे तक
नॉर्मल मार्केट : शाम 6.15 बजे से 7.15 बजे तक
कॉल ऑक्शन इललिक्विड सेशन - शाम 6.15 बजे से 7.15 बजे तक
क्लोजिंग सेशन - शाम 7.20 बजे से 7.30 बजे तक
ट्रेड मॉडिफिकेशन कट ऑफ टाइम - शाम 6.15 बजे से 7.40 बजे तक
आखिरी एक मिनट में रैंडम क्लोजिंग
मुहूर्त ट्रेडिंग की कहानी
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है, जो 1957 से मुहूर्त ट्रेडिंग आयोजित करता आ रहा है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में इसकी शुरुआत 1992 से हुई। मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन कारोबार सांकेतिक तौर पर होता है। माना जाता है कि इस दिन थोड़ी मात्रा में शेयर खरीदना शुभ होता है। इससे पूरे वर्ष माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। दलाल स्ट्रीट के कुछ निवेशक अब भी मानते हैं कि इस दिन खरीदे गए शेयरों को बनाए रखना चाहिए, ताकि इन्हें अगली पीढ़ी को ट्रांसफर किया जा सके।
मुहूर्त ट्रेडिंग में सूचकांकों का कैसा रहता है मिजाज?
अब तक देखा गया है कि इस विशेष कारोबारी सत्र में बाजार का मिजाज सकारात्मक रहता है। लेकिन, ट्रेडिंग वॉल्यूम अमूमन कम रहता है। इस छोटे से सेशन के दौरान शेयरों की चाल भी एक सीमित दायरे में रहती है। पिछले 14 मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र में 11 बार बीएसई सेंसेक्स बढ़त के साथ बंद हुआ है।
नए साल में क्या उम्मीद है?
विश्लेषक संवत 2076 को लेकर सकारात्मक हैं। उनका मानना है कि अगले संवत तक निफ्टी 14,000 और सेंसेक्स 46,000 अंक के स्तर को पार कर जाएगा।
सबसे अच्छी 8 कंपनियों के नाम
ऐक्सिस बैंक: यह भारत का तीसरा बड़ा प्राइवेट बैंक है। इसके मुनाफे की पिक्चर लगातार अच्छी हो रही है। स्ट्रेस्ड ऐसेट्स में इसके एक्सपोजर के कारण इसका ग्रॉस NPA 2017-18 में 6.8 प्रतिशत पर चला गया था। इसकी ऐसेट क्वॉलिटी अब मैनेज करने लायक हो गई है और 2020-21 तक इसका NPA रेशो करीब 4 प्रतिशत तक आ जाने का अनुमान है।
लोन रिकवरी के कदम उठाने के अलावा ऐक्सिस बैंक SME से जुड़ा अपना लोन पोर्टफोलियो मजबूत करने पर भी जोर दे रहा है। इससे भी इसकी ऐसेट क्वॉलिटी में सुधार आएगा। NPA राइट-ऑफ में कमी आने और पहले बट्टे खाते में डाले गए बैड लोन के रिवर्सल के कारण ऐक्सिस बैंक 2018-21 के बीच नेट प्रॉफिट में सालाना 50 प्रतिशत से ज्यादा की ग्रोथ दर्ज कर सकता है। हाल में जिस तरह इसने पूंजी जुटाई है, उससे लग रहा है कि यह दमदार फंडामेंटल्स के साथ यह ग्रोथ हासिल करना चाहता है।
बर्जर पेंट्स: पिछले कुछ वर्षों से पेंट्स इंडस्ट्री में स्ट्रक्चरल मजबूती दिख रही है। यह ट्रेंड बनना हुआ है। ऐसे में आने वाले वर्षों में यह दूसरे बिल्डिंग मैटीरियल्स और कंज्यूमर गुड्स सेगमेंट को पीछे छोड़ सकती है। छोटे शहरों में पैठ बढ़ाने के साथ रीपेंटिंग में गैप कम करने से भी बर्जर जैसी कंपनियों को मदद मिल रही है। डीलरों और सेल्स फोर्स की ताकत बढ़ाने से बर्जर सामने आ रही ग्रोथ स्टोरी का फायदा लेने की स्थिति में है।
रिसर्च हाउसेज इस पर इसलिए भी बुलिश हैं कि टेक्निकल फैक्टर्स इसके पक्ष में हैं। यह शेयर हाल में 11 महीनों के अपने कंसॉलिडेशन से बाहर निकला है और अब इसमें तेजी दिख रही है। ऐतिहासिक रूप से बर्जर ने कंसॉलिडेशन रेंज से बाहर निकलने के बाद अच्छा रिटर्न दिया है। इस बार भी ऐसी ही उम्मीद की जा रही है।
दीपक नाइट्राइट
बेसिक केमिकल्स, फाइन ऐंड स्पेशैलिटी केमिकल्स और परफॉर्मेंस प्रॉडक्ट्स के मामले में भारत और विदेश के बाजारों में दीपक नाइट्राइट अग्रणी कंपनी है। सप्लाई साइड की चुनौतियों के कारण डाई अमीनो स्टिलबीन साइसल्फोनिक ऐसिड की कीमत अभी चढ़ रही है और इसके चलते दीपक नाइट्राइट के परफॉर्मेंस प्रॉडक्ट्स डिविजन को आने वाली तिमाहियों में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलनी चाहिए।
कई राज्यों में कंपनी के प्लांट्स हैं और इनमें से अधिकतर काफी ज्यादा कपैसिटी पर काम कर रहे हैं। इससे कंपनी को प्रॉफिटेबिलिटी सुधारने में मदद मिली है। दीपक नाइट्राइट इंटीग्रेटेड बिजनस मॉडल पर काम करती है। इसने फेनॉल और एसीटोन की बढ़ने वाली उत्पादन क्षमता का करीब 30 प्रतिशत हिस्सा अपने उपभोग के लिए रखने की योजना बनाई है। इससे वह डेरिवेटिव्स बनाएगी। इस कदम से भी इसका मार्जिन बढ़ेगा।
ICICI बैंक
कॉर्पोरेट फोकस वाले बैंकों में सबसे ज्यादा अर्निंग्स टर्नअराउंड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक और ऐक्सिस बैंक में होने की उम्मीद है। इसकी वजह स्ट्रेस्ड ऐसेट्स की पहचान और उसे राइट डाउन करने में दिखाई जा रही तेजी है। ICICI बैंक का नेट स्ट्रेस्ड लोन (NPA को हटाकर) अभी घटकर 2.9 प्रतिशत पर आ गया है, वहीं इसका प्रॉविजन कवरेज रेश्यो सुधरकर 74.1 प्रतिशत हो गया है। लोन रिकवरी पर जोर और अपने रिटेल लोन मिक्स का हिस्सा बढ़ाने से इसकी ऐसेट क्वॉलिटी में भी सुधार हो रहा है।
सरकार और आरबीआई के कुछ कदमों के बावजूद दूसरी कतार की NBFC को अब भी लिक्विडिटी की तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इससे ICICI बैंक जैसे बैंकों को अपना ब्रांच नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिल रही है। इससे रिटेल लोन में इसका मार्केट शेयर बढ़ेगा। इससे डिपॉजिट साइड में भी रिटेल मिक्स बढ़ाने में मदद मिलेगी। ICICI बैंक का करेंट ऐंड सेविंग्स अकाउंट्स वाला हिस्सा अभी करीब 43% है। इंटरेस्ट रेट में गिरावट और क्रेडिट कॉस्ट में नरमी बैंकों के लिए अच्छी है। इससे ICICI बैंक जैसे दमदार प्लेयर्स को रिटर्न ऑन इक्विटी बढ़ाने में मदद मिलनी चाहिए।
लार्सन ऐंड टूब्रो
कैपिटल गुड्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कुछ छोटी कंपनियां इकॉनमी में सुस्ती के कारण परेशानी में हैं। वहीं लार्सन ऐंड टूब्रो जैसी बड़ी कंपनी को इससे फायदा हो रहा है। कस्टमर ऐसे माहौल में जहां बड़े प्लेयर्स के साथ रहना पसंद कर रहे हैं, वहीं ऐलऐंडटी भी मझोली कंपनियों की खाली जगह में अपना मार्केट शेयर बढ़ा रही है। ऑर्डर फ्लो से लग रहा है कि ऐलऐंडटी 2019-20 के लिए 10-12 प्रतिशत बढ़ोतरी का अपना गाइडेंस हासिल कर लेगी।
इसकी दमदार ऑर्डर बुक और कामकाज के अच्छे तरीके के चलते आने वाले वर्षों में इसकी अर्निंग्स को लेकर कोई संशय नहीं उभर रहा है। इसके रिटर्न रेश्यो आगामी वर्षों में सुधरने की उम्मीद है क्योंकि मैनेजमेंट का जोर लागत घटाने और वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट पर है। उदाहरण के लिए, 2020-21 तक इसका रिटर्न ऑन इक्विटी 18 प्रतिशत से ज्यादा होने की संभावना है। साथ ही, यह शेयर अपने हिस्टॉरिकल वैल्यूएशन ऐवरेज से अभी नीचे ट्रेड कर रहा है।
HDFC बैंक
शेयर प्राइस में हालिया रैली और वैल्यूएशन रेशियो में बढ़ोतरी के बावजूद रिसर्च हाउसेज एचडीएफसी बैंक पर दांव लगा रहे हैं। रिटेल लोन पर फोकस, दमदार पोजिशनिंग, बड़े ब्रांच नेटवर्क, अच्छी बैलेंस शीट, बेहतर ऐसेट क्वॉलिटी और बढ़िया प्रबंधन को देखते हुए रिसर्च हाउसेज इस पर बुलिश हैं। HDFC बैंक का मार्केट शेयर बढ़ सकता है, खासतौर से NBFC की खाली की गई जगह में।
इस स्थिति से लाभ लेने और लोन बुक ग्रोथ बढ़ाने के लिए HDFC बैंक डिपॉजिट जुटाने पर जोर लगा रहा है। यह कदम इसकी लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए अच्छा है। HDFC बैंक मार्जिन में लीडरशिप पोजिशन और दमदार रिटर्न रेशियो के साथ लगातार ग्रोथ हासिल कर सकता है।
पिडिलाइट इंडस्ट्रीज
फेविकोल बनाने वाली पिडिलाइट इंडस्ट्रीज भारत में एडहेसिव बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। अपने जाने-पहचाने ब्रांड्स के दम पर पिडिलाइट ने अतीत में अच्छी रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की है। डीलर नेटवर्क बढ़ाना बछोटे शहरों में कारोबार फैलाना इस कंपनी की ग्रोथ स्ट्रैटेजी रही है। यही वजह है कि कंस्ट्रक्शन में सुस्ती के बावजूद पिडिलाइट अपनी आमदनी बढ़ाने में सफल रही है।
पिछले दस वर्षों में इसका ऑपरेटिंग मार्जिन 700 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा है। दमदार ब्रैंड्स का फायदा लेने के लिए नए प्रॉडक्ट्स उतारने, लागत पर नियंत्रण के उपायों, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग के मोर्चे पर कुशलता बढ़ाने जैसे कदमों से कंपनी को मार्जिन बढ़ाने में मदद मिली है। कॉर्पोरेट टैक्स रेट में हालिया कमी से भी पिडिलाइट जैसी कंपनियों को फायदा होगा।
फेयरकेम स्पेशैलिटी
यह स्पेशैलिटी ओलियोकेमिल्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। अब इसके पास आदि फाइनकेम और प्रिवी ऑर्गेनिक्स की ताकत भी है, जिनका इसके साथ विलय हो चुका है। यह 65 प्रॉडक्ट्स बनाती है। इनमें पॉलीएमाइड्स और प्रिंटिंग इंक इंडस्ट्री के लिए टोकोफेरॉल्स, स्टेरॉल्स, लिनोलेइक ऐसिड, मोनोबेसिक ऐसिड और डाइमर एसिड प्रमुख हैं। कंपनी तो यह छोटी है और स्पेशल सेगमेंट में काम कर रही है, लेकिन यह भारत में अरोमा केमिकल बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है और दुनिया में पाइन ट्री फ्रैगरेंस बनाने वाली दूसरी बड़ी कंपनी (मार्केट शेयर 20-25 प्रतिशत) है।
प्रिवी ऑर्गेनिक्स पिछले दस वर्षों से टॉप 10 ग्लोबल फ्रैगरेंस कंपनियों को प्रॉडक्ट भेजती रही है। इसका पीएंडजी, हेंकेल आदि दिग्गज एफएमसीजी कंपनियों से सीधा संपर्क रहा है। विकसित देशों में फ्लेवर्स और फ्रैगरेंस के लिए डिमांड एक मैच्योर लेवल पर पहुंच चुकी है, लेकिन चीन, भारत, पश्चिम एशिया, लैटिन अमेरिका जैसे इमर्जिंग मार्केट्स में ग्रोथ की काफी संभावना है। फेयरकेम के पास मौजूदा प्रॉडक्ट्स लाइंस में ही अतिरिक्त उत्पादन क्षमता है, लिहाजा यह अपनी बैलेंस शीट पर दबाव लिए बिना भविष्य में ग्रोथ का इंतजाम कर सकती है।