नई दिल्ली। एक लड़की ने 15 साल पहले केवल इसलिए आत्महत्या कर ली थी कि क्योंकि जिस युवक से वो प्यार करती थी, उसके सामने उसके माता-पिता ने उसे अपनामानित किया और 'कॉल गर्ल' कहा। लड़की ने सुसाइड नोट में आत्महत्या का कारण 'कॉल गर्ल' कहना ही बताया था परंतु सुप्रीम कोर्ट ने इसे आत्महत्या के लिए उत्प्रेरण मानने से इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी ने अपने फैसले में कहा कि लड़की की ओर से की गई आत्महत्या का कारण 'अपमानजनक' भाषा का इस्तेमाल था, ये कहना सही नहीं है। जजों ने कहा कि गुस्से में कहा गया एक शब्द, जिसके बारे में कुछ सोचा-समझा नहीं गया हो उसे उकसावे के रूप में नहीं देखा जा सकता।
क्या घटनाक्रम हुआ था
कोलकाता की लड़की आरोपी से अंग्रेजी भाषा का ट्यूशन लिया करती थी। इस दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। लड़की और लड़का अपनी शादी के बारे में जब लड़के के माता-पिता से मिलने गए तो गुस्से में लड़के के परिजनों ने लड़की को बहुत कुछ कह दिया। इस दौरान गुस्से में लड़के के माता-पिता ने लड़की को 'कॉल गर्ल' कह दिया। पुलिस ने चार्ज शीट में लिखा कि इसी बात से दुखी लड़की ने घर आने के बाद आत्महत्या कर ली।
सुसाइड नोट में कॉल गर्ल का किया था जिक्र
लड़की ने आत्महत्या करने से पहले दो सुसाइड नोट लिखे थे। इन दोनों में ही उसने लड़के के माता-पिता पर उसे 'कॉल गर्ल' कहने का आरोप लगाया था। इसी के साथ उसने बताया था कि जिससे वह प्यार करती थी, उसने भी माता-पिता को ऐसा करने से नहीं रोका। पुलिस ने जांच के बाद लड़के और उसके माता-पिता के खिलाफ आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल किया। तीनों आरोपियों ने ट्रायल कोर्ट में इसका विरोध किया लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई।