विकास तिवारी। प्रेग्नेंसी के बाद शरीर को शेप में लाने, शारीरिक मुद्रा, लिगामेंट टियर, पीठ और कमर में दर्द जैसी तकलीफें दूर करने के लिए इन दिनों शहर की महिलाएं पाइलेट (pilate) का सहारा ले रही हैं। पाइलेट की खास बात यह है कि यह भागने-दौड़ने, वजन उठाने या पसीना बहाने की एक्सरसाइज नहीं है। इसमें बगैर मशीनों के वर्कआउट किया जाता है। यह पेट की मांसपेशियों और सांस लेने की प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।
पाइलेट ट्रेनर सोनम धीर कहती हैं- इसमें एनाटॉमी, मूवमेंट एंड प्रिंसिपल, मैट पाइलेट, रिफॉर्मर पाइलेट, एमओटीआर (मूवमेंट ऑफ द रोलर) कोर्स किए हैं। इसे सीखने और कोर्स करने के बाद मेरी बॉडी भी ट्रांसफॉर्म हो गई और मैंने 10 किलो वजन भी कम किया, शरीर के दर्द भी खत्म हो गए। अब भी रोजाना ढाई घंटे वर्कआउट करती हूं।
अब तक 40 से अधिक महिलाओं को ट्रेन कर चुकी हूं। यह फायदेमंद हैं क्योंकि रिजल्ट्स 10 क्लासेस के बाद ही दिखने लगते हैं। 20 क्लास के बाद लोग कहने लगते हैं कि वो अपने शरीर में फर्क महसूस कर रहे हैं और 30 क्लास के बाद बॉडी पूरी तरह ट्रांसफॉर्म हो जाती है। बॉडी में स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिब्लिटी बढ़ जाती है।