ग्वालियर पुलिस ने बिना शिकायत SC/ST Act दर्ज किया और सवर्ण महिला को जेल भेज दिया

Bhopal Samachar
ग्वालियर। ग्वालियर एसपी नवनीत भसीन सांस्कृतिक आयोजनों में व्यस्त हैं नतीजा यह कि ग्वालियर के थानेदार मनमानी एफआईआर दर्ज कर रहे हैं। ताजा मामला कंपू थाने का है यहां पुलिस ने एक सवर्ण महिला के खिलाफ केवल इसलिए एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया क्योंकि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति से है। खुद शिकायतकर्ता का कहना है कि मैंने एससी/एसटी एक्ट मामला दर्ज करने का निवेदन ही नहीं किया था। पूछने पर थानेदार ने कहा कि यही नियम है जबकि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश है कि जब तक जातिगत आधार पर अपराध ना किया जाए एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।

यह था मामला

त्यागी नगर निवासी बबीता शर्मा अपनी 20 वर्षीय बेटी नंदनी शर्मा के साथ बाड़े सामान खरीदने जा रहीं थीं। तभी उनका एक्सीडेंट हो गया। जिसकी शिकायत उन्होंने कोतवाली थाना पुलिस से की और घायल शर्मा की एमएलसी करवाने के लिए ट्रॉमा सेन्टर पहुंची। जहां पर डॉ निधी आर्य ने उनका एक्सरा करवाया, रिपोर्ट नॉर्मल आई। तब डॉ निधी ने नंदनी से एक क्रॉप बैंड बाजार से खरीदकर बांधने के लिए कहा। इसी को लेकर नंदनी की मां बबीता और डॉ निधी के बीच विवाद हुआ और मारपीट हो गई। जिसकी शिकायत डॉक्टर ने कंपू थाने में की।

FIR में लिखा मजनून

डॉ निधी आर्य ने एफआईआर में जो मजनून लिखवाया उसमें कहीं पर भी जति सूचक शब्द प्रयोग होने की बात का जिक्र नही किया गया। उन्होंने पूरी घटना बताते हुए कहा कि बबीता उसका वीडियो बनाते हुए नाम पूछ रही थी। मैंने वीडिया बनाने से रोका तो बबीता ने गंदी गालियां देते हुए मेरा गल पकड़ कर दवा ,जिससे उसे चोट पहुंची।

 मैने एट्रोसिटी एक्ट के लिए शिकायत नहीं की थी

महिला को मेरा नाम ही पता नहीं था तो फिर जातिगत बात कहां से आ गई। मुझ पर उसने हमला किया यही मैंने शिकायत की। जिसमें डॉक्टर प्रोटक्शन एक्ट लगना चाहिए जो लगा है। मैंने जातिगत अपमान की शिकायत ही नहीं की।
डॉ निधी आर्य, फरियादिया

फरियादी की जाति के आधार पर अपने आप एक्ट लग जाता है

शिकायतकर्ता यदि एससीएसटी का है तो स्वतः ही एट्रोसिटी एक्ट लग जाता है। इसमें किन्तु परंतु की गुुंजाईस नहीं रही।
विनय शर्मा, थाना प्रभारी कंपू

बिना शिकायत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता

फरियादिया द्वारा कहीं पर भी जतिगत शब्द के प्रयोग की शिकायत नहीं की। एफआईआर में एट्रोसिटी एक्ट के आवश्यक तत्व ही मौजूद नहीं है तो फिर एक्ट नहीं लगाया जा सकता। एट्रोसिटी एक्ट के तहत गलत एफआईआर दर्ज करना गलत है। गलती करने वाले अधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होना चाहिए।
अवधेश सिंह भदौरिया, अधिवक्ता हाईकोर्ट

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