ग्वालियर। मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी (School Education Minister Prabhuram Chaudhary) को शुक्रवार को उस वक्त असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब ग्वालियर में एक बैठक के दौरान एक शिक्षक और उनकी पत्नी ने वेतन के लिए मंत्री के पैर पकड़ लिए। यही नहीं, शिक्षक दंपति ने शिक्षा मंत्री के पैर पकड़ उनसे 20 महीने से रुका हुआ वेतन दिलवाने की भी मांग की। शिक्षक ने अपनी व्यथा सुनाते हुए मंत्री से कहा कि तनख्वाह निकालने के एवज में उनसे 2 लाख रुपए रिश्वत मांगी जा रही है। मंत्री ने जैसे-तैसे स्थिति को नियंत्रित किया और शिक्षक को जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया।
शिक्षा स्तर सुधारने की बैठक में पहुंचे थे मंत्री
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी शुक्रवार को मोतीमहल स्थित मान सभागार में बैठक ले रहे थे। इसमें प्रदेश के शिक्षा अधिकारी, ग्वालियर चंबल संभाग के कमिश्नर, कलेक्टर और जिला शिक्षक अधिकारी भी शामिल थे. डॉ. चौधरी सरकारी अफसरों के साथ स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्थाओं को लेकर मंथन कर ही रहे थे कि इसी दौरान शिक्षक जगदीश सिंह यादव और उनकी पत्नी विमला देवी अपनी फरियाद लेकर पहुंच गए। बैठक में मौजूद लोग जब तक कुछ समझ पाते, दोनों पति-पत्नी फूट-फूट कर रोने लगे और शिक्षा मंत्री के पैर पकड़ न्याय की गुहार लगाने लगे।
वेतन बंद होने की शिकायत
ग्वालियर के तानसेन नगर स्थित शासकीय स्कूल में सहायक शिक्षक जगदीश यादव ने शिक्षा मंत्री से कहा कि उन्हें 20 महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। इस कारण उनका परिवार तंगहाली से गुजर रहा है। जगदीश ने आरोप लगाया कि जब वेतन रिलीज कराने को प्राचार्य और शिक्षा अधिकारी के पास जाते हैं, तो वह सैलरी के एवज में 2 लाख रुपए रिश्वत मांगते हैं। 20 महीने से सैलरी ना मिलने के कारण घर की आर्थिक हालत पूरी तरह से बिगड़ चुकी है।
जगदीश ने मंत्री से शिकायत की कि आला अफसरों से शिकायत के बाद भी कोई हल नहीं निकला, इसलिए आपसे न्याय मांगने आया हूं। जगदीश यादव और उनकी पत्नी ने मंत्री से कहा कि अब भी अगर उनकी नहीं सुनी गई, तो उनके सामने आत्महत्या के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। इसके बाद मंत्री ने शिक्षक के मामले की जांच के आदेश दिए।